
रीवा। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में इन दिनों ‘मामा का बुलडोजर (‘Mama’s Bulldozer’)’ खूब चल रहा है. दशकों पुराने अतिक्रमण हटाए (remove encroachments) जा रहे हैं. इसी कड़ी में रीवा में एक ऐसा ही वाकया सामने आया है, जिसमें मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री गोविंद नारायण सिंह (Former Chief Minister Govind Narayan Singh) की भूमि से कब्ज़ा हटाने में प्रशासन को 4 दशक का लम्बा वक्त लग गया.
दरअसल, रीवा शहर में पूर्व मुख्यमंत्री गोविंद नारायण सिंह की रामपुर कोठी मौजूद थी. रामपुर कोठी में परिसर में 6 व्यावसायिक दुकानें बनाई गई थी. इन दुकानों को किराये पर दिया गया था. दुकानदार दुकान खाली करने में आनाकानी करते रहे. जब दुकानदार से दुकान खाली करने को कहा गया तो मामला हाई कोर्ट पहुंच गया.
दुकानदार स्टे लेकर अब तक काबिज रहे, लेकिन यह दुकानें अब जर्जर हो चुकी थी. प्रशासन चाह कर भी दुकान को ना तो खाली करा सका और ना ही तोड़ सका था. एक बार फिर कोर्ट ने स्टे ख़ारिज करते हुए प्रशासन को कार्यवाई के निर्देश दिए. इसके बाद नगर निगम ने जर्जर दुकानों को तोड़कर धराशायी कर दिया.
हाल ही में नगर निगम ने एक सर्वे कराया था. इसमें सामने आया की यह भवन कभी भी गिर सकता है. इसके बाद नगर निगम ने दोनों पक्षों की सहमति लेकर पूर्व मुख्यमंत्री के जर्जर भवन पर बुलडोजर चला दिया. नगर पालिक निगम को यह पूरी कार्रवाई करने में 40 साल का लम्बा वक्त लगा.
आपको जानकर हैरानी होगी कि पूर्व मुख्यमंत्री गोविन्द नारायण सिंह 1967-1969 तक मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे और सिंधिया परिवार से विरोध के चलते मुख्यमंत्री पद छोड़ दिया था. 1988 में बिहार के राज्यपाल रह बनाये गए थे. इनके पिता कैप्टन अवधेश प्रताप सिंह विन्ध्य प्रदेश के प्रधानमंत्री थे.
उस वक्त देश आजाद हुआ था और यह तय नहीं था कि देश में एक प्रधानमंत्री होगा. बाद में यह सुधार हुआ और आगे चलकर कैप्टन अवधेश प्रताप सिंह विंध्य प्रदेश मुख्यमंत्री भी बने थे, जबकि दोनों पुत्र ध्रुव सिंह और हर्ष सिंह प्रदेश सरकार में मंत्री रह चुके है और पोते विक्रम सिंह वर्तमान में रामपुर बघेलान से भाजपा विधायक हैं.
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