
नई दिल्ली। टेस्ट क्रिकेट (Test cricket.) में कई दशकों से एक नियम चला आ रहा है कि गेंद 80 ओवर के बाद नई मिलेगी, लेकिन इस नियम में एक बॉल मैन्युफैक्चरिंग कंपनी (Ball Manufacturing Company) बदलाव चाहती है। इंग्लैंड की बॉल बनाने वाली कंपनी ड्यूक्स (Dukes) चाहती है कि 80 ओवर के बजाय 60 ओवर के बाद ही नई गेंद टेस्ट में उपलब्ध होनी चाहिए। ड्यूक्स बॉल हाल ही में दुनिया के विभिन्न हिस्सों में आयोजित दो अलग-अलग टेस्ट सीरीज में जांच के दायरे में आई है, जिसके बाद बॉल के निर्माता ने सुझाव दिया है कि आईसीसी को वर्तमान 80 ओवर के स्थान पर 60 ओवर के बाद दूसरी नई गेंद लाने पर विचार करना चाहिए।
भारत और इंग्लैंड (India and England) की बीच जारी मौजूदा टेस्ट सीरीज में काफी एक्शन और हाई-स्कोरिंग मुकाबले देखने को मिले हैं। भारत ने दूसरे टेस्ट में इंग्लैंड को मात देकर ऐतिहासिक जीत हासिल की। परिणाम के बावजूद, भारत के कप्तान शुभमन गिल ने खेल के बाद ड्यूक्स गेंद को लेकर अपनी निराशा व्यक्त करते हुए कहा, “पिच से भी ज्यादा, गेंद नरम हो रही है और बहुत जल्दी खराब हो रही है। अगर आपको पता है कि किसी भी तरह की मदद के लिए सिर्फ 20 ओवर बचे हैं और फिर आपको बाकी दिन रक्षात्मक होकर बिताना है, सिर्फ यह सोचना है कि रन कैसे रोकें, तो खेल अपना महत्व खो देता है।”
इस पर ड्यूक्स कंपनी का कहना है कि गेंद की आलोचना करना फैशन बन गया है। इंग्लैंड में ड्यूक्स फैक्ट्री के मालिक दिलीप जाजोदिया ने मुंबई मिरर से खास बातचीत में गेंद का बचाव करते हुए कहा, “गेंद की आलोचना करना फैशन बन गया है। गेंदबाजों और कप्तानों ने यह आदत बना ली है कि जब वे विकेट नहीं ले पाते हैं तो अंपायरों पर दबाव बनाने की कोशिश करते हैं।” 1980 से ये नियम है कि 80 ओवर के बाद आपको नई गेंद फील्डिंग टीम के कप्तान के कहने पर मिल जाएगी।
एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी में लगातार गेंद बदलने का अनुरोध एक आम बात रही है, जिसमें ऋषभ पंत को ICC द्वारा दंडित भी किया गया था, क्योंकि लीड्स में अंपायरों द्वारा गेंद बदलने के लिए टीम के अनुरोध को अस्वीकार किए जाने के बाद उन्होंने गुस्से में गेंद को पटक दिया था। यहां तक कि मैच के आखिर दिन, भारत की ओर से गेंद बदलने का पहला अनुरोध 14वें ओवर में आया, जिसके बाद कई बार ऐसी अपील की गई। आखिरकार 28वें ओवर में अंपायरों ने नरम रुख अपनाया और गेंद बदली गई।
इतना ही नहीं, गेंद बदलने के लिए इंग्लैंड ने दूसरे टेस्ट में अंपायरों से अनुरोध किया। इंग्लैंड ने 16वें ओवर से ही गेंद की स्थिति के बारे में अंपायरों से शिकायत करनी शुरू कर दी थी। चार असफल अनुरोधों के बाद 56वें ओवर में गेंद को बदला गया, जिसमें अधिकारियों ने उस गेंद को “खेलने के लिए अनुपयुक्त” करार दिया, जिसकी कोई निश्चित परिभाषा नहीं है।
उधर, वेस्टइंडीज और ऑस्ट्रेलिया के बीच टेस्ट सीरीज जारी है। इस सीरीज के दौरान ऑस्ट्रेलिया के पेसर जोश हेजलवुड ने गेंद को लेकर शिकायत की थी। उन्होंने कहा था कि कभी भी 70 ओवर पुरानी इतनी नरम गेंद से उन्होंने गेंदबाजी नहीं की है। इंग्लैंड, आयरलैंड और वेस्टइंडीज में टेस्ट मैच ड्यूक्स से खेले जाते हैं, जो एक ऐसी गेंद है जो तेज गेंदबाजों की मदद करने के लिए जानी जाती है। इतना ही नहीं, विराट कोहली ने तो कप्तान रहते हुए इस बात की वकालत की थी कि हर देश में ड्यूक्स से ही टेस्ट क्रिकेट खेली जानी चाहिए।
ड्यूक्स गेंद बनाने वालों का मानना है कि इंग्लैंड वर्सेस इंडिया टेस्ट सीरीज में फ्लैट पिचों पर मैच खेले गए हैं। ऐसे में गेंद ने अपनी शेप खोई है। जाजोदिया ने कहा, “बल्लेबाज और खिलाड़ी जितने शक्तिशाली हैं, वे गेंद को इतनी जोर से मार रहे हैं कि वह इतनी तेजी से स्टैंड्स से टकराती है कि कभी-कभी उसका शेप बिगड़ जाता है। ऐसे मामलों में, अंपायर के पास आकार की जांच करने के लिए ICC द्वारा दिया गया एक गेज होता है। कोई भी विकेट की फ्लैटनेस या गेंदबाजों की फॉर्म और कौशल के बारे में बात नहीं करता।”
उनका कहना है, “ड्यूक्स बॉल को गेंदबाजों के अनुकूल माना जाता है और अब जब एक पारी में पांच या छह शतक बन रहे हैं, तो हर कोई गेंद को दोष दे रहा है। अगर कुछ भी गलत होता है, तो वह या तो पिच या गेंद होती है – खिलाड़ी कभी नहीं। जब खिलाड़ी डक करते हैं, तो यह पिच की वजह से होता है। जब गेंदबाजों को विकेट नहीं मिलते, तो यह गेंद की वजह से होता है।”
वर्तमान में, टेस्ट टीमें 80 ओवर के बाद दूसरी नई गेंद की मांग कर सकती हैं, लेकिन जाजोदिया का मानना है कि नियमों में बदलाव किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, “शायद खेल के अधिकारियों को मौजूदा 80वें ओवर के नियम के बजाय 60वें और 70वें ओवर के बीच कहीं नई गेंद लेने की अनुमति देने पर विचार करना चाहिए। वे किसी तरह से उम्मीद करते हैं कि गेंद 79.5वें ओवर तक सख्त रहेगी, जो मुझे डर है, संभव नहीं है।” उनका कहना है कि गेंद मशीन से नहीं बनती कि हर गेंद समान होगी।
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