
उज्जैन। विक्रम विश्वविद्यालय के स्वर्ण जयंती सभागार में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी के विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन किया गया जिसमें उन्होंने कहा कि बच्चों की गुलामी और मजदूरी को खत्म करने के लिए दुनिया के कई देश आगे आ चुके हैं और इसके लिए बेरोजगारी की समस्या हल करना होगी। इस सत्र की अध्यक्षता डॉ. अंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय लखनऊ के कुलाधिपति डॉ. प्रकाश बरतूनिया ने की। सारस्वत अतिथि विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अखिलेश कुमार पांडेय थे। इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. जगमोहन शर्मा की काव्य कृति यक्षप्रिया की पाती का लोकार्पण किया गया। पुस्तक की समीक्षा विक्रम विश्वविद्यालय के हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. शैलेंद्र कुमार शर्मा ने की। आयोजन की विशिष्ट अतिथि श्रीमती सुमेधा सत्यार्थी नई दिल्ली, पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सी. जे. विजय कुमार मेनन, डॉ. बी. आर. अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय महू के कुलपति डॉ. दिनेश शर्मा एवं कुलसचिव डॉ. प्रशांत पुराणिक थे।
नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी ने कहा कि एक दौर में इस बात की चर्चा कोई नहीं करता था कि बच्चे बड़े पैमाने पर मजदूरी करते थे। इसी दृष्टि से बाल अधिकारों को लेकर विशेष प्रयास किए गए और यूएन में सतत विकास लक्ष्य के तहत बाल मजदूरी एवं बाल वेश्यावृत्ति को समाप्त करने का संकल्प लिया गया। बच्चों की गुलामी और मजदूरी को समाप्त करने के लिए दुनिया के अनेक देश कटिबद्ध हुए हैं। बाल मजदूरी समाप्त करने से बेरोजगारी की समस्या का समाधान सम्भव है। वर्तमान दौर में हवा और समुद्र का विनाश किया जा रहा है। इसके विरुद्ध सभी को सजग होना होगा। भारत भूमि शांति के लिए जानी जाती है, लेकिन एक समय तक किसी को शांति के लिए नोबेल पुरस्कार नहीं मिला था, जब मुझे यह पुरस्कार प्राप्त हुआ तो मैंने इसे अपना नहीं, संपूर्ण राष्ट्र का सम्मान माना। विषमता और विसंगतियों के विरुद्ध संघर्ष हमने बचपन में ही सीख लिया था। इतनी सुंदर धरती को हमने क्या कर दिया है। हम सभी एक ही परमात्मा के पुत्र हैं। कुलपति प्रो. पांडेय ने कहा कि उज्जैन हजारों वर्षों से काल गणना का केंद्र रहा है। इस अवसर पर अतिथियों ने डॉ. जगमोहन शर्मा, विदिशा की काव्यकृति यक्षप्रिया की पाती का लोकार्पण किया। पुस्तक समीक्षा कुलानुशासक प्रो. शैलेंद्र कुमार शर्मा ने की। इस अवसर पर श्री कैलाश सत्यार्थी के जीवन और उनके योगदान पर केंद्रित डॉक्यूमेंट्री फिल्म का प्रदर्शन किया गया।
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