
इस्लामाबाद । पाकिस्तान की सरकार (Pakistan Government) ने बकरीद (Bakrid) से पहले अहमदिया मुसलमानों (Ahmadiyya Muslims) की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। पंजाब प्रांत (Punjab Province) की मरियम नवाज सरकार (Maryam Nawaz Government) ने आदेश दिया है कि अगर अहमदिया मुसलमान कुर्बानी और अन्य धार्मिक रस्मों में शामिल होते हैं तो उन्हें सजा दी जाएगी। कई जिलों में अहमदिया समुदाय से जुड़े लोग गिरफ्तार भी हुए हैं। उन्हें लगातार धमकी दी जा रही है कि वे घरों में भी धार्मिक अनुष्ठान न करें, इसके लिए उन्हें शपथ पत्र पर हस्ताक्षर करना होगा। इन शपथ पत्रों में उल्लंघन पर पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाने का प्रावधान भी है।
अहमदिया समुदाय को 1974 के संविधान संशोधन के तहत गैर-मुस्लिम घोषित किया गया है, जिससे उन्हें धार्मिक और कानूनी रूप से मुसलमानों के समान अधिकार नहीं मिले। उन्हें सार्वजनिक रूप से नमाज़ पढ़ने और कुरान पढ़ने से भी रोका गया है। इसके अलावा, आतंकी समूह जैसे तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान और तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान भी अहमदिया समुदाय के खिलाफ हिंसक हमले करते रहे हैं।
कम से कम 36 गिरफ्तार, 100 से अधिक कब्रें भी तोड़ी
पिछले वर्ष जून में पंजाब में कम से कम 36 अहमदिया सदस्य उनकी ईद की क़ुर्बानी करने से रोकने के लिए गिरफ्तार किए गए थे। इसी साल मार्च में पंजाब के खुशाब जिले में लगभग 100 अहमदिया कब्रिस्तान की कब्रें भी तोड़ी गईं।
बकरीद से पहले नया आदेश
पंजाब सरकार ने अहमदिया समुदाय को ईद के दौरान धार्मिक आयोजन न करने के लिए शपथ पत्र जमा करने को कहा है, जबकि पाकिस्तानी कानून में निजी तौर पर क़ुर्बानी करने पर कोई प्रतिबंध नहीं है। कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के शपथ पत्र थोपना गैरकानूनी है और स्थानीय अधिकारियों का अधिकार क्षेत्र पार करता है। लाहौर हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने भी पुलिस को पत्र लिखकर अहमदिया समुदाय के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि केवल मुसलमानों को ही क़ुर्बानी करने का अधिकार है और अहमदिया समुदाय का ऐसा करना “मुस्लिम बहुमत की भावनाओं को ठेस पहुंचाता है” और सार्वजनिक शांति भंग कर सकता है।
गौरतलब है कि पाकिस्तान में अहमदिया समुदाय की संख्या लगभग 20 लाख है। इस समुदाय के लिए धार्मिक स्वतंत्रता और सुरक्षा की मांग लगातार की जा रही है, लेकिन वर्तमान हालात चिंताजनक बने हुए हैं।
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