
नई दिल्ली । पाकिस्तान(Pakistan) स्थित आतंकी समूह जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के सरगना मसूद अजहर ने 1990 के दशक में जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir)की जेल से भागने की अपनी कोशिश की विफलता पर पछतावा व्यक्त किया है। एक ऑडियो क्लिप में संभवतः पाकिस्तान में हुए एक कार्यक्रम में उसे जेल से सुरंग खोदकर भागने की अपनी असफल कोशिश का विवरण देते हुए सुना गया है। उसकी आवाज लाउडस्पीकर(Loudspeaker) में गूंज रही थी, जिससे संकेत मिलता है कि यह कार्यक्रम एक खुले क्षेत्र में आयोजित किया गया था।
खुफिया सूत्रों ने भारत के सबसे वांटेड आतंकवादी की इस ऑडियो क्लिप को प्रामाणिक बताया है। मसूद अजहर 2001 में संसद, 2008 में मुंबई और कई अन्य हमलों का मास्टरमाइंड है।
ऑडियो में मसूद अजहर को यह याद करते हुए टूटते हुए सुना गया कि जम्मू-कश्मीर की कोट भलवाल जेल से सुरंग खोदकर भागने की उसकी योजना कैसे विफल हो गई। यह जेल जम्मू क्षेत्र में एक उच्च सुरक्षा वाली सुविधा है जो भारत द्वारा पकड़े गए कुछ सबसे वांटेड आतंकवादियों को रखने के लिए जानी जाती है।
जैश सरगना ने ऑडियो क्लिप में बताया कि वह कोट भलवाल में कुछ उपकरणों का इस्तेमाल करके काफी समय से सुरंग खोद रहा था। जिस दिन उसने सुरंग के रास्ते भागने की योजना बनाई थी, उसी दिन जेल अधिकारियों ने उसकी इस गतिविधि का पता लगा लिया।
मसूद अजहर ने कहा कि आज भी वह उन जेल अधिकारियों से डरता है, जिन्होंने भागने की योजना बनाने के लिए उसे और अन्य आतंकवादियों को पीटा था। उसने रोते हुए कहा, “भागने की मेरी योजना के आखिरी दिन उन्हें सुरंग के बारे में पता चल गया था।”
भागने की नाकाम कोशिश के बाद जेल उसके और कुछ अन्य कैदियों के लिए एक कठिन जगह बन गई, क्योंकि नियमों को सख्ती से लागू किया गया, जिसमें उल्लंघन के लिए शारीरिक दंड भी शामिल था। मसूद अजहर को यह कहते हुए सुना गया कि उसे जंजीरों से बांधा गया था, और नियमित गतिविधियों पर भी प्रतिबंध लगा दिए गए थे।
आतंकवादी द्वारा अपनी विफलता को स्वीकार करना एक बार फिर यह साबित करता है कि पाकिस्तान आतंकवाद को भारत को परेशान करने के लिए एक हथियार के तौर पर इस्तेमाल करता रहा है।
मसूद अजहर ने यह भी बताया कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर भारत के क्रूज मिसाइल हमलों में उसके परिवार के कम से कम 10 सदस्य और चार करीबी सहयोगी मारे गए थे। यह हमला जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में जैश आतंकवादियों द्वारा 26 नागरिकों की हत्या के जवाब में किया गया था।
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