
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव करीब आते ही सभी दल सियासी गोटियां खेलने में लग चुके हैं. एक दूसरे के वोट बैंक में सेंधमारी करना, दूसरी पार्टियों पर हमला करने जैसे हथियार लगातार चलाए जा रहे हैं. ऐसे में सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी के साथ गठबंधन कर वेस्टर्न यूपी में जाट-मुस्लिम समीकरण को साधने का दांव खेला है.
लेकिन, बसपा की मुखिया मायावती भी कहीं पीछे नहीं हैं. वह लागातार अखिलेश के दांव उल्टा उन्हीं पर चलने की कोशिश कर रही हैं. इसलिए यादव-चौधरी के इस कॉम्बीनेशन पर मायावती की भी नजर है. दरअसल, मायावती वेस्टर्न उत्तर प्रदेश में जाट-मुस्लिम-दलित समीकरण पर फोकस कर रही हैं. इस बात के संकेत उन्होंने बीते दिन की प्रेस कांफ्रेंस में भी दे दिए हैं.
जाट और मुस्लिम वर्ग को साधने के लिए चलाया अभियान
बता दें, मायावती ने बीते मंगलवार लखनऊ में बसपा के ओबीसी, मुस्लिम और जाट समाज के मुख्य और वरिष्ठ नेताओं के साथ मीटिंग की. इसी बैठक में उन्होंने अनुसूचित वर्ग की आरक्षित 86 सीटों पर जाट और मुस्लिम वर्ग को जोड़ने के लिए चलाए जा रहे अभियान की समीक्षा की.
मायावती ने नेताओं को बताया जनता को साधने का तरीका
बता दें, वेस्टर्न यूपी की सेफ सीट्स पर बहुजन समाज पार्टी जाट-मुस्लिम-दलित कॉम्बीनेशन के साथ चुनावी बाजी जीते की कोशिश कर रही है. इसी को लेकर मायावती ने जाट और मुस्लिम नेताओं से कहा है कि सुरक्षित सीटों पर अपने-अपने समाज के लोगों को पार्टी से जोड़ें. इसके लिए जमीनी स्तर पर काम करने और समाज की छोटी-छोटी बैठकें लेने का मंत्र मायावती ने अपने इन दो वर्गों के नेताओं को दिया है.
भाजपा पर फिर साधा निशान
बसपा सुप्रीमो ने बीजेपी सरकार पर आरोप लगाया है कि भाजपा मुस्लिमों के साथ अन्याय करती है. उनका कहना है कि प्रदेश में मुस्लिम समाज दुखी है और उनकी तरक्की नहीं हो रही है. मायावती का आरोप है कि इस सरकार में मुसलमानों पर फर्जी केस लगाकर उन्हें फंसाया जाता है और उनका उत्पीड़न किया जा रहा है. वहीं, मायावती कहती हैं कि प्रदेश सरकार नए नियम बना-बनाकर मुसलमानों में दहशत पैदा कर रही है. उनका कहना है कि बसपा सरकार में ऐसा कभी नहीं हुआ.
जाट समाज को लेकर भी बीजेपी पर आरोप
मायावती ने कहा कि सिर्फ, मुस्लिम समाज ही नहीं, बल्कि जाटों पर भी भाजपा हमला करती रहती है. मौजूदा सरकार का रवैया जाटों के लिए साफ दिखता है. बसपा की सरकार थी तो मुस्लिमों को तरक्की भी मिलती थी और उन्हें हिफाजत भी दी जाती थी. इसी के साथ जाट समाज की तरक्की का भी पूरा ध्यान रखा जाता था. ऐसे में मायावती ने दावा किया है कि बसपा की सरकार बनते ही मुस्लिमों और जाट वर्ग के हित और कल्याण का ध्यान रखा जाएगा.
रालोद की तरफ झुक रहे जाट
गौरतलब है कि वेस्टर्न उत्तर प्रदेश की राजनीति में जाट, मुस्लिम और दलित वोटर निर्णायक भूमिका निभाते हैं. एक समय था, जब मायावती दलित-मुस्लिम वर्ग की मदद से पश्चिमी यूपी में जीतती थीं. लेकिन अब सियासी समीकरण बदल रहे हैं. किसान आंदोलन की वजह से रालोद को राजनीतिक संजीवनी मिली है. ऐसे में जाट वोटर फिर से रालोद की तरफ झुक रहे हैं. इसे देखते हुए ही समाजवादी पार्टी ने राष्ट्रीय लोक दल के साथ 2022 चुनाव लड़ने का निर्णय लिया.
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