
नई दिल्ली । दिल्ली नगर निगम (Delhi Municipal Corporation) ने गुरुवार को अगले वित्तीय वर्ष (next financial year)के लिए टैक्स शेड्यूल को मंजूरी(Approval of the tax schedule) दे दी, लेकिन दिल्ली विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी (आप) की हार के बाद एमसीडी पर इसकी पकड़ कमजोर हो गई है। साथ ही सदन पर भी पार्टी की पकड़ कमजोर बनी हुई है। बजट प्रपोजल पर संशोधन प्रस्ताव आने पर पार्षदों के सदन में पार्टी की ताकत का असली टेस्ट होगा। अधिकारियों ने बताया कि अप्रैल में चुनाव के समय आप को मेयर पद पर बने रहने के लिए कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ेगा।
भाजपा नेता प्रतिपक्ष राजा इकबाल सिंह ने आप पर विकास रोकने और दिल्ली को एक दशक पीछे धकेलने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि शहर की जनता का आप पर से भरोसा उठ गया है। उन्होंने कहा, ‘आप के काम से नाखुश पार्षद भाजपा में शामिल हो गए हैं। अब जैसे ही भाजपा को निगम में सेवा का मौका मिलेगा, लोगों की समस्याओं का समाधान किया जाएगा।’ गुरुवार की बैठक के दौरान आप पार्षद राम चंद्र, जो पिछले साल भाजपा द्वारा धोखा दिए जाने का दावा करने के बाद पार्टी छोड़कर फिर से आप में शामिल हो गए थे, उन्हें विपक्ष के साथ बैठे देखा गया।
एमसीडी अधिकारियों ने बताया कि आप के पास फिलहाल 121 पार्षद हैं, जबकि भाजपा के पास 120 पार्षद हैं। कांग्रेस के पास आठ पार्षद हैं। हालांकि, पार्षदों के पाला बदलने, दलबदल करने और पार्षदों के विधायक बनने की वजह यह बैलेंस बदलने की संभावना है। 11 मौजूदा पार्षदों जिसमें आठ भाजपा और तीन आप के विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए हैं। भाजपा की कमलजीत सेहरावत के सांसद बनने के बाद एक और सीट खाली हो गई है। यानी कुल मिलाकर निगम में 12 सीटें जल्द खाली होने वाली हैं।
एक अधिकारी ने बताया, ‘इन 11 पार्षदों के इस्तीफा देने के बाद भाजपा की संख्या घटकर 112 हो जाएगी और आप की संख्या 118 हो जाएगी। हालांकि, 14 मनोनीत विधायक – संभवतः भाजपा के 12 और आप के दो – उपचुनाव न होने की स्थिति में भी संख्याबल भाजपा के पक्ष में दा सकती है।’ मेयर के लिए निर्वाचक मंडल में निर्वाचित पार्षद, सात लोकसभा सांसद, तीन राज्यसभा सांसद और 14 मनोनीत विधायक शामिल हैं।
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