
इंदौर। मध्यप्रदेश में कांग्रेस की विभिन्न शहर और जिला इकाई के अध्यक्ष के नाम फाइनल करने के लिए आज दिल्ली में महत्वपूर्ण बैठक होने जा रही है। इस बैठक में मध्यप्रदेश के प्रभारी और प्रदेश अध्यक्ष भी भाग लेंगे।
मध्यप्रदेश में कांग्रेस द्वारा संगठन सृजन अभियान लागू किए जाने के बाद सभी जिला और शहर अध्यक्ष बदलने का ऐलान किया गया था। इस ऐलान को अमल में लाने के लिए कांग्रेस द्वारा सभी दूर पर्यवेक्षक भेजे गए और गोपनीय सर्वे कराकर रिपोर्ट भी हासिल की गई है। पर्यवेक्षक की रिपोर्ट और सर्वे की रिपोर्ट के आधार पर हर शहर और जिला अध्यक्ष के लिए नाम करीब-करीब फाइनल हो गए हैं। इन संभावित अध्यक्ष के नाम को अंतिम रूप देने के लिए आज दिल्ली में महत्वपूर्ण बैठक होने जा रही है। इस बैठक में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव केसी वेणुगोपाल के साथ ही मध्यप्रदेश कांग्रेस के प्रभारी महासचिव हरीश चौधरी और प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष जीतू पटवारी भी भाग लेंगे।
ऐसा समझा जा रहा है कि आज की बैठक होने के बाद कभी भी कांग्रेस द्वारा अध्यक्षों के नाम की सूची जारी कर दी जाएगी। यह सूची जारी होने से पहले ही कांग्रेस में बगावत को रोकने की पहल शुरू हो गई है। सभी नेताओं को यह समझाया जा रहा है कि कोई भी किसी भी पद पर स्थायी नहीं होता है। ऐसे में यदि आज आपको पद नहीं मिल रहा है तो चिंता मत कीजिए, आने वाले कल में आपको यह पद मिल सकता है।
कांग्रेस हाईकमान के साथ जिला अध्यक्ष के नाम को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ, दिग्विजय सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव की बैठक हो चुकी है। प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष जीतू पटवारी भी दो-तीन राउंड में अलग-अलग बात करके आ चुके हैं। प्रदेश में विधानसभा में विपक्ष के नेता उमंग सिंघार भी इस मुद्दे को लेकर पार्टी नेतृत्व के साथ बैठक कर चुके हैं। ऐसा समझा जाता है कि आज की बैठक में अध्यक्ष के पद पर नियुक्त किए जाने वाले नेताओं के नाम को अंतिम मंजूरी देने का काम किया जाएगा। बड़ी संख्या में कांग्रेस नेताओं द्वारा पार्टी बदलकर भाजपा में शामिल हो जाने के कारण अब पार्टी के पास वैसे भी बड़े जनाधार वाले नेताओं की कमी हो गई है। ऐसे में कांग्रेस द्वारा सृजन अभियान के तहत पार्टी को नया आकार देते हुए नया जनआधार तैयार करने की कोशिश की जा रही है, ताकि अगले विधानसभा चुनाव में पार्टी नई ताकत के साथ मैदान में उतर सकें।
विरोध के लिए भी तैयार
इसके साथ ही कांग्रेस में फूलछाप कांग्रेसी के रूप में पहचान बनाने वाले नेताओं के विरोध में पार्टी के दूसरे नेता लामबंद हो गए हैं। इन नेताओं ने यह तय कर लिया है कि यदि भाजपा के साथ सुर में सुर मिलाकर राजनीति करने वाले नेताओं को अध्यक्ष पद देकर उपकृत करने की कोशिश की जाएगी तो ऐसी कोशिश का जमकर विरोध किया जाएगा। इस तरह की नियुक्ति के विरोध में क्या और कैसे करना है, इसकी भी रणनीति तैयार हो गई है।
नेताओं की इच्छा चलेगी?
इस समय मध्यप्रदेश के कांग्रेस नेताओं के बीच में चर्चा का विषय यही है कि क्या नवसृजन अभियान के नाम पर की जाने वाली अध्यक्ष की नियुक्ति में भी प्रदेश के नेताओं की चलेगी? यदि इन नेताओं की चल गई तो कांग्रेस में कोई बड़ा और महत्वपूर्ण बदलाव होने जैसी बात नहीं रहेगी। यदि इन बड़े और स्थापित नेताओं की नहीं चली तो फिर कांग्रेस में मैदानी काम करने वालों को तवज्जो मिल सकेगी।
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