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मिसाइलों के लिए मेगा ऑर्डर…ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारतीय वायुसेना की बड़ी तैयारी

August 22, 2025

नई दिल्ली: ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) में शानदार प्रदर्शन के बाद भारतीय वायुसेना (IAF) अपनी ताकत को और बढ़ाने की तैयारी में है. इसके लिए वायुसेना इजरायल से हवा से जमीन पर मार करने वाली रैम्पेज मिसाइलों (Rampage Missile) के लिए बड़े पैमाने पर ऑर्डर देने जा रही है. रक्षा सूत्रों ने इंडिया टुडे को बताया कि ये मिसाइलें जिन्हें भारतीय वायुसेना में हाई-स्पीड लो ड्रैग-मार्क 2 (HSLD Mk-II) के नाम से जाना जाता है, पहले से ही सु-30 MKI, जगुआर और मिग-29 जैसे लड़ाकू विमानों में शामिल की जा चुकी हैं. रैम्पेज एक अत्याधुनिक हवा से जमीन पर मार करने वाली मिसाइल है, जिसे इजरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज (IAI) ने बनाया है.

रेंज: यह 150 से 250 किलोमीटर की दूरी तक लक्ष्य को नष्ट कर सकती है.
स्पीड: यह सुपरसोनिक मिसाइल मैक 2 (ध्वनि की गति से दोगुना) तक की रफ्तार से उड़ती है.
सटीकता: इसका INS/GPS नेविगेशन सिस्टम और इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल/इन्फ्रारेड (EO/IIR) सेंसर इसे अचूक निशाना बनाने में सक्षम बनाते हैं.
उपयोग: यह बंकर, रडार स्टेशन, कमांड सेंटर और अन्य मजबूत लक्ष्यों को नष्ट करने के लिए बनाई गई है.


भारत ने इस मिसाइल को 2020-21 में गलवान झड़प के बाद आपातकालीन शक्तियों के तहत खरीदा था, जब भारत-चीन सीमा पर तनाव बढ़ा था. 7 मई 2025 को शुरू हुआ ऑपरेशन सिंदूर भारत का एक बड़ा सैन्य अभियान था, जो पहलगाम आतंकी हमले का जवाब था, जिसमें 26 नागरिकों की मौत हुई थी. इस अभियान में भारतीय वायुसेना ने पाक और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में 9 आतंकी ठिकानों और 11 पाकिस्तानी हवाई अड्डों पर सटीक हमले किए.

रैम्पेज मिसाइलों ने इस ऑपरेशन में अहम भूमिका निभाई. खासकर सु-30 MKI विमानों से दागी गई इन मिसाइलों ने पाकिस्तान के मुरीदके और बहावलपुर में लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी मुख्यालयों को पूरी सटीकता से नष्ट किया. इन हमलों में कोई नागरिक हानि नहीं हुई. भारतीय वायुसेना के सभी पायलट सुरक्षित लौटे. रैम्पेज ने पाकिस्तानी रडार और हवाई रक्षा प्रणालियों को चकमा देकर गहरे लक्ष्यों को नष्ट किया.

इस अभियान में राफेल (स्कैल्प मिसाइलों के साथ), मिराज 2000 (स्पाइस-2000 बमों के साथ) और सु-30 MKI (रैम्पेज और ब्रह्मोस मिसाइलों के साथ) ने हिस्सा लिया. जगुआर विमानों ने भी सुक्कुर हवाई अड्डे पर UAV हैंगर को नष्ट किया.

रैम्पेज मिसाइल को भारतीय वायुसेना ने अपने रूसी मूल के विमानों में शामिल किया है, जिनमें शामिल हैं…
सु-30 MKI: यह भारत का सबसे ताकतवर लड़ाकू विमान है, जिसे हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने बनाया है. यह ब्रह्मोस (400 किमी रेंज) और रैम्पेज जैसी मिसाइलें दाग सकता है.
मिग-29: यह हल्का और फुर्तीला विमान है, जो अब रैम्पेज के साथ और खतरनाक हो गया है.
जगुआर: यह पुराना लेकिन भरोसेमंद विमान है, जिसे रैम्पेज के साथ अपग्रेड किया गया है.
मिग-29K: भारतीय नौसेना के विमानवाहक पोतों पर तैनात इस विमान में भी रैम्पेज को शामिल किया गया है.

वायुसेना अब अन्य विमानों, जैसे तेजस में भी रैम्पेज को शामिल करने की संभावनाएं तलाश रही है. ऑपरेशन सिंदूर में रैम्पेज की सफलता के बाद भारतीय वायुसेना इसे बड़े पैमाने पर खरीदने की योजना बना रही है. ये ऑर्डर फास्ट-ट्रैक प्रक्रिया के तहत जल्द ही दिए जाएंगे. वायुसेना मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत रैम्पेज मिसाइलों का भारत में बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू करने पर विचार कर रही है.

इजरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज (IAI) और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) ने 2023 में एयरो इंडिया में एक समझौता किया था, जिसके तहत भारत में रैम्पेज का उत्पादन हो सकता है. इससे न केवल लागत कम होगी, बल्कि भारत की आत्मनिर्भरता भी बढ़ेगी.

रैम्पेज की तुलना में भारत के पास कई अन्य मिसाइलें हैं, जैसे…
ब्रह्मोस: यह भारत-रूस की संयुक्त परियोजना है, जिसकी रेंज 300-600 किमी और सटीकता 1 मीटर तक है. यह सु-30 MKI से दागी जा सकती है.
ROCKS (क्रिस्टल मेज-2): यह भी इजरायल की मिसाइल है, जिसे हाल ही में अंडमान और निकोबार में सु-30 MKI से टेस्ट किया गया. इसकी रेंज भी 250 किमी से ज्यादा है.
रुद्रम सीरीज: भारत की स्वदेशी मिसाइलें, जिनमें रुद्रम-2 (300 किमी) और रुद्रम-3 (600 किमी) शामिल हैं.

हालांकि, रैम्पेज की खासियत इसकी सुपरसोनिक गति और कम लागत है, लेकिन इसे दागने वाले विमान को दुश्मन की हवाई रक्षा प्रणालियों (जैसे पाकिस्तान की HQ-9 और LY-80) के करीब जाना पड़ता है. इस कमी को दूर करने के लिए भारत अब एयर LORA मिसाइल पर विचार कर रहा है, जिसकी रेंज 400 किमी है. यह भारतीय विमानों को दुश्मन की सीमा से बाहर रहकर हमला करने की क्षमता देगी.

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