
देहरादून । देहरादून (Dehradun) में 15 सितंबर की रात और 16 सितंबर की सुबह काल बनकर आई। बहुत अधिक बारिश (Heavy Rain) के बाद नदी-नाले इतने उफान पर आ गए मानो जल प्रलय। राजधानी में हर ओर सिर्फ तबाही ही तबाही नजर आई। सहस्त्रधारा, मालदेवता और टपकेश्वर समेत कई महत्वपूर्ण स्थानों पर जल सैलाब आ गया और तबाही के निशान छोड़ गया। इस आपदा ने कम से कम 13 लोगों की जान ले ली और अभी भी 16 लोगों का कुछ पता नहीं चल पाया है। कम से कम 3 पुल और 30 से अधिक सड़कें पूरी तरह तबाह हो गईं। मसूरी में 3 हजार से अधिक सैलानी अभी भी फंसे हुए हैं। मौसम विभाग ने खुलासा किया है कि देहरादून में कहीं भी बादल नहीं फटा। फिर जल त्रासदी की असली वजह क्या थी?
जल प्रलय की असली वजह क्या थी?
देहरादून में कहीं भी बादल फटने की घटना से मौसम विभाग ने इनकार किया है। मौसम विभाग के निदेशक डॉ. सीएस तोमर ने बताया कि दून समेत प्रदेश के अन्य इलाकों में लगातार बारिश हो रही है। इससे नुकसान हुआ है। सहस्रधारा, मालदेवता, मसूरी, कालसी, हरिपुर समेत कई इलाकों में लगातार बारिश हुई है।
सहस्रधारा में सर्वाधिक बारिश मंगलवार की अलसुबह सवा पांच से सवा छह बजे तक 54 एमएम और कालसी में रात पौने दस से पौने 11 बजे तक 67 एमएम बारिश दर्ज की गई। इसके अलावा रात को 11 से 12 बजे तक बागेश्वर, नैनीताल और चमोली में 30-40 एमएम बारिश हुई।
सहस्त्रधारा में जोन ऑफ कॉम्प्लेक्स
डॉ. सीएम तोमर के मुताबिक, जब मानसून जाता है तो आखिरी समय में अच्छी बारिश होती है। दक्षिण पूर्वी और उत्तर पश्चिमी हवाएं टकराने के कारण देहरादून के सहस्रधारा और मालदेवता में ‘जोन ऑफ कॉम्प्लेक्स’ बन रहा है। नमी ज्यादा होने पर पूर्वी हवाएं ऊपर उठकर बादल बनाती हैं और पहाड़ी इलाके शुरू होने पर यही बादल इधर-उधर शिफ्ट नहीं हो पाते, पहाड़ियों से टकराकर बरस पड़ते हैं। निरंतर बारिश से मलबा भी जमा होता रहता है।
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