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सिंहस्थ के पहले नहीं चल सकेगी उज्जैन तक मेट्रो

December 09, 2025

  • 12 हजार करोड़ खर्च, 45 किलोमीटर की दूरी
  • डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार, इसी माह होगा भोपाल में प्रजेंटेशन, सिंहस्थ समाप्त होते ही शुरू करेंगे काम

इन्दौर। उज्जैन (Ujjain) में वर्ष 2028 में आयोजित होने वाले सिंहस्थ (Simhastha) में भाग लेने के लिए आने वाले श्रद्धालु इंदौर (Indore) से उज्जैन तक मेट्रो ट्रेन से नहीं जा सकेंगे। उज्जैन तक मेट्रो ट्रेन (Metro) चलाने के लिए डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार हो गई है। इस रिपोर्ट पर इसी माह भोपाल में प्रजेंटेशन रखा जा रहा है। अब यह योजना बनाई गई है कि सिंहस्थ समाप्त होते ही इंदौर से उज्जैन तक मेट्रो चलाने के लिए काम शुरू किया जाए।



कुंभ के रूप में पहचाने जाने वाले उज्जैन के सिंहस्थ के आयोजन में भाग लेने के लिए बड़ी संख्या में देश और दुनिया के श्रद्धालु पहुंचते हैं। बाबा महाकाल की नगरी में आयोजित होने वाले सिंहस्थ का अपना एक अलग महत्व है। उज्जैन के महाकाल मंदिर को महाकाल लोक के रूप में परिवर्तित किए जाने के बाद से इस स्थान की तरफ श्रद्धालुओं का रुझान ज्यादा बढ़ गया है। इस रुझान को देखते हुए ही सरकार द्वारा यह अनुमान लगाया जा रहा है कि इस बार के सिंहस्थ में श्रद्धालुओं का जो सैलाब आएगा, वह अब तक के सारे रिकॉर्ड तोड़ देगा। इस हिसाब से ही सरकार के द्वारा व्यवस्थाओं को जुटाने की भी कोशिश की जा रही है। प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के द्वारा यह मंशा व्यक्त की गई थी कि इंदौर में ट्रायल रन पर चल रही मेट्रो ट्रेन को सिंहस्थ के पहले उज्जैन तक चलाया जाए। मुख्यमंत्री की इस मंशा के अनुरूप मध्य प्रदेश मेट्रो रेल कारपोरेशन द्वारा इंदौर से उज्जैन तक मेट्रो चलाने के लिए सर्वे कराया गया। इस सर्वे में यह तथ्य सामने आया कि यदि इंदौर से उज्जैन तक मेट्रो ट्रेन चलाई जाना है तो उसके इंफ्रास्ट्रक्चर के डेवलपमेंट पर करीब 12000 करोड़ रुपए खर्च होंगे। यह दूरी करीब 45 किलोमीटर की है। ऐसे में मेट्रो चलाने के लिए इस प्रोजेक्ट की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार करवाने का काम किया गया। यह डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट भी तैयार हो गई है। मेट्रो ट्रेन कंपनी के सूत्रों ने बताया कि इस रिपोर्ट के आधार पर इसी महीने के अंत में भोपाल में एक प्रजेंटेशन होना है। इस प्रजेंटेशन के आधार पर प्रोजेक्ट को मंजूरी मिलेगी तो फिर उसे अंतिम मंजूरी के लिए केंद्र सरकार के पास दिल्ली भेजा जाएगा। जो प्रोजेक्ट तैयार किया गया है उसके अनुसार इंदौर से उज्जैन तक तो मेट्रो ट्रेन एलिवेटेड रूप से चलाई जाना है। उज्जैन में पहुंचने के बाद उज्जैन के शहरी क्षेत्र में इस ट्रेन को अंडरग्राउंड कर दिया जाएगा। कंपनी के अधिकारियों ने बताया कि डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार होने के बाद जब विश्लेषण किया गया तो यह पाया गया कि सिंहस्थ के आयोजन के पहले इंदौर से उज्जैन तक मेट्रो ट्रेन चलाने के लिए पूरे सिस्टम को आकार दे पाना संभव नहीं है। अब समय इतना नहीं है कि इतनी लंबी लाइन बिछाने और ट्रेन चलाने का काम किया जा सकें। ऐसी स्थिति में अब उच्च स्तर पर यह निश्चित हो गया है कि सिंहस्थ के आयोजन के पहले उज्जैन तक मेट्रो ट्रेन चलाने के लिए कोशिश नहीं की जाएं। इसके साथ ही यह भी प्रस्ताव है कि इंदौर से उज्जैन तक मेट्रो ट्रेन चलाने के प्रोजेक्ट को दिल्ली से मंजूरी मिलने के बाद इसकी तैयारी शुरू कर दी जाएं। इस तैयारी के अंतर्गत इस प्रोजेक्ट में जो जो काम किया जाना है उसके लिए टेंडर डिजाइन करके जारी कर दिया जाएं और टेंडर मंजूर कर एजेंसी फाइनल करने का काम भी कर लिया जाएं। यह सब काम करते हुए यह निश्चित कर लिया जाए की जैसे ही सहस्थ का आयोजन समाप्त हो वैसे ही तेज गति के साथ इंदौर से उज्जैन तक मेट्रो ट्रेन को चलाने के प्रोजेक्ट पर काम शुरू कर दिया जाएं।

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