
वाशिंगटन। सॉफ्टवेयर (Software.) बेचने वाली टेक कंपनी माइक्रोसॉफ्ट (Tech company Microsoft) इन दिनों एक दिलचस्प वजह से चर्चा में आ गई है। दरअसल कंपनी ने हाल ही में एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं जिसके तहत वह इंसानों का मल खरीदने जा रही है। जानकारी के मुताबिक माइक्रोसॉफ्ट (Microsoft) इस समझौते के तहत करीब 49 लाख मीट्रिक टन जैविक कचरा (49 lakh metric tonnes of organic waste) खरीदेगी। इस कचरे में इंसानी मल के साथ-साथ दूसरे तरह के जैविक कचरे भी शामिल होंगे।
माइक्रोसॉफ्ट ने वॉल्टेड डीप नाम की कंपनी के साथ यह समझौता किया है। समझौते की अवधि 12 सालों की होगी और इसकी शुरुआत 2026 में होगी। यह कंपनी जैविक कचरे के मिश्रण यानी ‘बायोसलरी’ को इकट्ठा करती है और इसे जमीन की सतह के बहुत नीचे इंजेक्ट कर देती है, जिससे पर्यावरण से कचरे को हटाने में मदद मिलती है।
अब Microsoft इस कंपनी से 49 लाख मीट्रिक टन कचरा खरीद रही है, जिसे कंपनी एक बड़े सिरिंज का उपयोग जमीन के नीचे इंजेक्ट करने की योजना बना रही है।
माइक्रोसॉफ्ट क्यों खरीद रही है इंसानी मल?
आसान भाषा में कहा जाए तो माइक्रोसॉफ्ट यह सब कार्बन क्रेडिट इकट्ठा करने के लिए कर रही है। इस कचरे को खरीदने के लिए कंपनी अरबों डॉलर का निवेश कर रही है। कंपनी का कार्बन फुटप्रिंट बहुत बड़ा है। ऐसे में कंपनी पर्यावरण के लिए काम करने वाली इस कंपनी के साथ मिलकर अपना कार्बन फुटप्रिंट कम करने की कोशिश रही है। कचरा खरीद कर पर्यावरण से हटाने के बदले Microsoft को हर टन कचरे के लिए एक कार्बन क्रेडिट मिलेगा।
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