
इंदौर। जब कभी इंदौर (Indore) को जरूरत हुई है, कद्दावर जननेता कैलाश विजयवर्गीय (Kailash Vijayvargiya) ने अपने व्यापक जनसंपर्क और विराट पहचान की बदौलत शहर की आवाज को बुलंद तरीके से उठाया है और हर समस्या का समाधान जनता की आकांक्षाओं के अनुरूप किया है। मेट्रो समृद्ध होते शहर की पहचान है और भविष्य में आवागमन का सबसे सहज, सरल और सुगम साधन बनने वाली है, लेकिन शहर की इस महत्वाकांक्षी योजना को लेकर विरोध के स्वर बुलंद होने लगे। शहर की खूबसूरती पर ग्रहण लगने के साथ लोगों को अपने आशियाने और कारोबार दोनों पर संकट की आहट महसूस होने लगी। ऐसे में एक बार फिर जननायक कैलाश विजयवर्गीय ने कमान संभाली और लंबे समय से चली आ रही मेट्रो की समस्या का समाधान कर दिया।
मेट्रो के अंडरग्राउंड ट्रेक को दिलाई स्वीकृति
शहर के बाहरी हिस्सों में मेट्रो के परिचालन को लेकर कभी कोई दिक्कत नहीं रही, लेकिन जैसे ही मेट्रो के शहर की घनी आबादी में प्रवेश की तैयारी होने लगी जनता सड़कों पर उतर आई। खजराना चौराहे से लेकर रेलवे स्टेशन के बीच 3.3 किलोमीटर तक के मेट्रो रूट को लेकर असमंजस बना रहा। पहले यहां एलिवेटेड कॉरिडोर प्रस्तावित था। इन इलाकों में घरों और कारोबारी प्रतिष्ठानों की घनी बसाहट है। कई घरों और दुकानों का अस्तित्व मेट्रो के एलिवेटेड कॉरिडोर की वजह से खत्म हो जाता।
मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने जनता की तकलीफ को महसूस किया। अधिकारियों के साथ मैराथन बैठक कर यह स्पष्ट कर दिया कि “मेट्रो मींस अंडरग्राउंड। हमें मेट्रो अंडरग्राउंड चाहिए और खजराना से ही चाहिए… आप इसे अंडरलाइन कर लीजिए।” पहले मेट्रो प्रोजेक्ट शहीद पार्क से हाई कोर्ट तक एलिवेटेड और हाई कोर्ट से एयरपोर्ट तक अंडरग्राउंड करने का प्रस्ताव था, लेकिन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के प्रयास मेट्रो को जमीन की गहराई में उतारने में सफल रहे। इससे पहले अंडरग्राउंड हिस्से में छोटा गणपति मेट्रो स्टेशन को लेकर इस क्षेत्र के रहवासियों ने विरोध किया था।
जब जनता की आवाज कैलाश विजयवर्गीय तक पहुंची तो उन्होंने दीपावली मिलन समारोह के कार्यक्रम में कहा था कि यह स्टेशन नहीं बनेगा। मेट्रो स्टेशनों के पास पार्किंग की व्यवस्था नहीं होने से भी वह नाराजगी का इजहार कर चुके हैं। अधिकारियों के साथ बैठक में उन्होंने कहा था कि स्टेशनों के पास पार्किंग की योजना बनाने का ध्यान नहीं रखा गया है, जो एक बड़ी गलती है। वास्तुविदों ने स्टेशनों के पास पार्किंग बनाने का ध्यान ही नहीं रखा। इंदौर विकास प्राधिकरण (आईडीए) को निर्देशित करते हुए उन्होंने कहा था कि अगर उसके पास जमीन उपलब्ध हो तो वह इसे नाममात्र की कीमत पर मेट्रो स्टेशनों की पार्किंग के लिए उपलब्ध कराए।
शहर में सुरंगों में दौड़ेगी मेट्रो
इस तरह कैलाश विजयवर्गीय की कोशिशें रंग लाई है और इंदौर के घनी आबादी वाले रिहायशी और कारोबारी इलाकों से गुजरने वाली 3.3 किलोमीटर लंबी मेट्रो लाइन अब एलिवेटेड कॉरिडोर के बजाय अंडरग्राउंड बनाई जाएगी। इससे मेट्रो प्रोजेक्ट की लागत 800-900 करोड़ रुपए बढ़ जाएगी। इस अतिरिक्त खर्च को राज्य सरकार उठाएगी। नई योजना में तीन किलोमीटर अंडरग्राउंड ट्रेक ज्यादा होगा। इस तरह 9 के बजाए 12 किलोमीटर मेट्रो ट्रेक की अंडरग्राउंड लंबाई होगी। खजराना से एयरपोर्ट तक मेट्रो ट्रैक भूमिगत बनेगा। 8.7 किलोमीटर लंबे ट्रैक में करीब 7 अंडरग्राउंड स्टेशन बनेंगे।
केंद्र सरकार ने दी मंजूरी
इसके साथ ही इंदौर अंडरग्राउंड मेट्रो को केंद्र सरकार ने भी स्वीकृति दे दी है। केंद्रीय आवास एवं शहरी कार्य मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने शनिवार को भोपाल में इसकी घोषणा की।
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