
इन्दौर। इंदौर के शहर अध्यक्ष से ज्यादा ग्रामीण क्षेत्र के लिए जोर आजमाइश नजर आ रही है। चिंटू वर्मा के लिए मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने तगड़ी लामबंदी की है तो मंत्री सिलावट दिल्ली में बैठे सिंधिया से भाजपा नेताओं पर दबाव बनवा रहे हैं, ताकि संगठन पर उनका नियंत्रण हो सके। इसी चक्कर में इंदौर शहर की दोनों सीटों को होल्ड पर रख दिया गया है। चिंटू वर्मा को ग्रामीण क्षेत्र का अध्यक्ष बने अभी 9 महीने भी नहीं हुए हैं। अधिकांश जिलों में भाजपा अपनी पिछली सूचियों में लोकसभा चुनाव के पहले बने अध्यक्षों को भी रिपिट कर चुकी हैं। यहां तक कि झाबुआ के भानू भूरिया को तीसरी बार अध्यक्ष बना दिया गया है। पार्टी इंदौर जिले के मामले में फेरबदल नहीं चाहती थी और चिंटू का नाम ही जिला अध्यक्ष के रूप में शामिल किया गया था। वे मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के खास हैं, ये सब जानते हैं। इसलिए भी विजयवर्गीय विरोधी गुट लामबंद हो चुका है।
मंत्री तुलसी सिलावट ने तो खुलेआम चिंटू नहीं बने, इसको लेकर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया से भी प्रदेश के नेताओं पर दबाव बनाया है। वे उषा ठाकुर और मनोज पटेल के जरिए चिंटू को रोककर अंतर्दयाल के नाम पर अड़ गए हैं। यह पहली ही बार है कि सिलावट ने खुलेआम विजयवर्गीय खेमे से अध्यक्ष के नाम पर विरोध किया है। अब देखना है कि दोनों नेता अपनी ताकत कहां तक लगा पाते हैं? इंदौर अध्यक्ष को लेकर भी यही स्थिति बनी है, जहां सुमित मिश्रा और टीनू जैन को लेकर कश्मकश बनी हुई है, लेकिन बदलते समय में कोई चौंकाने वाला नाम भी पार्टी सामने ला सकती है। अभी किसी भी दावेदार ने मैदान नहीं छोड़ा है और पूरी लड़ाई लडऩे के मूड में नजर आ रहे हैं। इनमें जवाहर मंगवानी, मुकेश राजावत, नानूराम कुमावत के नाम भी शामिल हैं। पार्टी संघ से आए गोपाल गोयल और निशांत खरे के बारे में भी विचार कर रही है।
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