
नई दिल्ली.भारत (India) और बांग्लादेश (Bangladesh) के रिश्तों को लेकर संसद (Parliament) की विदेश मामलों की स्थायी समिति ने एक विस्तृत रिपोर्ट पेश की है. कांग्रेस सांसद शशि थरूर (Shashi Tharoor) की अध्यक्षता वाली समिति ने ‘भारत–बांग्लादेश संबंधों का भविष्य’ विषय पर अपनी 9वीं रिपोर्ट में स्पष्ट किया है कि अगस्त 2024 के बाद बांग्लादेश में हुए घटनाक्रमों ने भारत के सामने अभूतपूर्व रणनीतिक, सुरक्षा और कूटनीतिक चुनौतियां खड़ी कर दी हैं. समिति ने कहा है कि इन हालात में भारत को निरंतर कूटनीतिक संवाद, सटीक रणनीतिक संचार और संस्थागत तालमेल को मजबूत करने की जरूरत है.
यह रिपोर्ट 16 दिसंबर 2025 को अपनाई गई. इससे पहले समिति ने विदेश मंत्रालय (MEA) से कई दौर की ब्रीफिंग ली थी, जिनमें 11 दिसंबर 2024 को विदेश सचिव के साथ विस्तृत चर्चा भी शामिल है. इसके अलावा 18वीं लोकसभा के 2024–25 और 2025–26 सत्रों के दौरान विषय विशेषज्ञों से भी विचार-विमर्श किया गया.
समिति ने कहा है कि 1971 का मुक्ति संग्राम भारत-बांग्लादेश संबंधों की नैतिक और ऐतिहासिक आधारशिला है. यह साझा बलिदान, आपसी भरोसे और एकजुटता का प्रतीक है. रिपोर्ट में कहा गया है कि बांग्लादेश की आजादी में भारत की भूमिका और मुक्ति योद्धाओं को छात्रवृत्ति व चिकित्सा सहायता जैसे निरंतर सहयोग ने इन रिश्तों को वैधता दी है.
हालांकि समिति ने चिंता जताई कि बांग्लादेश में अब संशोधनवादी विचार उभर रहे हैं और युवा पीढ़ी के बीच 1971 में भारत की भूमिका को लेकर जागरूकता कम हो रही है. समिति ने विदेश मंत्रालय से कहा है कि रणनीतिक जन कूटनीति, शैक्षणिक आदान-प्रदान, सांस्कृतिक कार्यक्रमों और लोगों के बीच संपर्क बढ़ाकर 1971 की भावना को जीवित रखा जाए.
भारत में शेख हसीना के ठहराव का जिक्र
रिपोर्ट में बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के भारत में ठहरने के संवेदनशील मुद्दे को भी उठाया गया है. समिति ने कहा कि भारत का रुख उसकी सभ्यतागत परंपरा और मानवीय मूल्यों पर आधारित है, जिसके तहत गंभीर संकट या अस्तित्व के खतरे के समय शरण दी जाती है.
साथ ही समिति ने यह भी कहा कि भारत सरकार ने सख्ती से इस सिद्धांत का पालन किया है कि शेख हसीना भारतीय धरती का इस्तेमाल किसी तीसरे देश के खिलाफ राजनीतिक गतिविधियों के लिए ना करें. समिति ने सरकार को सलाह दी है कि वे मानवीय और सिद्धांत आधारित रुख बनाए रखें. संवेदनशीलता से स्थिति को संभालें और शेख हसीना को अनुपस्थिति में सुनाई गई मौत की सजा के बाद बांग्लादेश की प्रत्यर्पण मांग पर संसद को जानकारी देते रहें.
कूटनीतिक ढांचा और संवाद पर क्या कहा…
भारत और बांग्लादेश के बीच 40 से ज्यादा संरचित द्विपक्षीय तंत्र मौजूद हैं. इनमें संयुक्त परामर्श आयोग (JCC), विदेश कार्यालय परामर्श (FOC) और संयुक्त नदी आयोग (JRC) जैसे मंच शामिल हैं. इन्हीं तंत्रों के जरिए भूमि सीमा समझौता (LBA), समुद्री सीमा समाधान और सीमा-पार बिजली और कनेक्टिविटी जैसी बड़ी उपलब्धियां हासिल हुई हैं.
समिति ने जोर दिया है कि राजनीतिक अनिश्चितता के इस दौर में इन तंत्रों का नियमित और सक्रिय इस्तेमाल जरूरी है, ताकि भरोसे में कमी ना आए और पुराने लाभ सुरक्षित रहें.
अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर कहा- ये चिंताजनक स्थिति
समिति ने अगस्त 2024 के बाद बांग्लादेश में बनी स्थिति को 1971 के बाद से भारत के लिए सबसे बड़ी रणनीतिक चुनौती बताया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि राजनीतिक अस्थिरता, लोकतांत्रिक चुनावों को लेकर अनिश्चितता, अल्पसंख्यकों पर हमले और सामाजिक अशांति बेहद चिंताजनक हैं.
समिति के मुताबिक मई 2025 तक अल्पसंख्यकों और धार्मिक स्थलों पर हमलों की 2,446 घटनाएं दर्ज की गईं. भारत ने यह मुद्दा लगातार उच्च स्तर पर उठाया है, लेकिन समिति ने बांग्लादेशी अधिकारियों द्वारा इन घटनाओं को ‘सांप्रदायिक हिंसा’ की बजाय ‘राजनीतिक हत्याएं’ बताकर कमतर आंकने की कोशिशों पर नाराजगी जताई है. समिति ने अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को भारत की कूटनीति का मुख्य मुद्दा बनाने और दोषियों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई पर जोर देने को कहा है.
सीमा सुरक्षा पर समिति की क्या राय?
भारत और बांग्लादेश के बीच 4,096 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा है, जो पांच राज्यों और कठिन भौगोलिक क्षेत्रों से गुजरती है. इसमें से 3,231 किलोमीटर सीमा पर बाड़ लग चुकी है, जबकि करीब 864 किलोमीटर अभी भी बिना बाड़ के है. इनमें 175 किलोमीटर का हिस्सा बेहद चुनौतीपूर्ण माना गया है.
समिति ने अवैध घुसपैठ, तस्करी, कट्टरपंथ और सीमा-पार अपराध जैसी समस्याओं पर चिंता जताई है, जो सीमावर्ती इलाकों की सामाजिक-आर्थिक कमजोरियों से और बढ़ जाती हैं. रिपोर्ट में सीमा पर बाड़ लगाने की प्रक्रिया तेज करने, भूमि अधिग्रहण की समस्याएं सुलझाने और नदी क्षेत्रों में फ्लोटिंग फेंस, लेजर आधारित निगरानी प्रणाली और स्मार्ट सेंसर जैसे आधुनिक तकनीकी उपाय अपनाने की सिफारिश की गई है.
बीएसएफ और बीजीबी के बीच डीजी स्तर की नियमित बातचीत, संयुक्त टास्क फोर्स और उन्नत निगरानी साधनों को भी जरूरी बताया गया है.
केंद्र-राज्य के बीच कैसा हो समन्वय?
समिति ने कहा है कि बांग्लादेश से जुड़े घटनाक्रमों का सीधा असर पूर्वोत्तर भारत की सुरक्षा पर पड़ता है. इसीलिए केंद्र और सीमावर्ती राज्यों के बीच बेहतर समन्वय जरूरी है. रिपोर्ट में बताया गया है कि बेहतर तालमेल के चलते दिसंबर 2024 के बाद असम में अंसारुल्लाह बांग्ला टीम के 14 आतंकियों की गिरफ्तारी और बड़े पैमाने पर नशीले पदार्थों की बरामदगी संभव हुई.
समिति ने नॉर्थ ईस्टर्न काउंसिल (NEC), नीति आयोग के मुख्यमंत्रियों के उपसमूह और विदेश मंत्रालय के स्टेट्स डिविजन को फिर से सक्रिय करने की सिफारिश की है.
आर्थिक और व्यापारिक संबंध क्या कहते हैं?
बांग्लादेश दक्षिण एशिया में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है. 2024-25 में द्विपक्षीय व्यापार 13.46 अरब डॉलर तक पहुंच गया. हालांकि समिति ने बुनियादी ढांचे की कमी, टैरिफ और नॉन-टैरिफ बाधाओं, लैंड पोर्ट्स पर जाम और कमजोर लॉजिस्टिक्स जैसी संरचनात्मक समस्याओं की ओर इशारा किया है.
समिति ने इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट्स के आधुनिकीकरण, सड़क, रेल और अंतर्देशीय जलमार्गों के बेहतर इस्तेमाल और डिजिटल ट्रेड सुविधा बढ़ाने की सलाह दी है. इसके साथ ही SAFTA के तहत बांग्लादेश के रास्ते चीन के सामान की भारत में डंपिंग पर चिंता जताते हुए सख्त रूल्स ऑफ ओरिजिन जांच और ढाका से उच्चस्तरीय बातचीत की जरूरत बताई है.
LDC से बाहर निकलने के बाद क्या चुनौती…
2026 में बांग्लादेश के लीस्ट डेवलप्ड कंट्री (LDC) श्रेणी से बाहर होने के बाद व्यापार ढांचा बदल जाएगा. समिति ने कहा है कि 2026 के अंत से पहले भारत-बांग्लादेश व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौता (CEPA) पूरा करना बेहद जरूरी है, ताकि भारत के घरेलू हित सुरक्षित रहें और बांग्लादेश के संक्रमण को भी समर्थन मिल सके.
बांग्लादेश में चीन की बढ़ती भूमिका
समिति ने बांग्लादेश में चीन की बढ़ती मौजूदगी को लेकर भी चेतावनी दी है. रिपोर्ट में मोंगला पोर्ट विस्तार और भारतीय सीमा के पास लालमोनिरहाट एयरबेस के विकास जैसे प्रोजेक्ट्स का जिक्र किया गया है.
भारत ने इसके जवाब में खुलना-मोंगला रेल लाइन और चटगांव व मोंगला बंदरगाहों तक ट्रांजिट पहुंच जैसे कदम उठाए हैं. फिर भी समिति ने विदेशी सैन्य जुड़ी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर कड़ी निगरानी रखने और भारत को भरोसेमंद विकास साझेदार के रूप में मजबूत करने पर जोर दिया है.
कनेक्टिविटी, विकास साझेदारी और BBIN…
भारत ने बांग्लादेश में कनेक्टिविटी, बिजली और इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए करीब 10 अरब डॉलर की विकास सहायता देने की प्रतिबद्धता जताई है. समिति ने सुरक्षा और लॉजिस्टिक दिक्कतों के चलते हुई देरी को स्वीकार करते हुए परियोजनाओं को समय पर पूरा करने की जरूरत बताई है.
BBIN मोटर वाहन समझौते को उप-क्षेत्रीय सहयोग का अहम स्तंभ बताते हुए समिति ने लंबित प्रोटोकॉल को जल्द अंतिम रूप देने और माल व लोगों की निर्बाध आवाजाही शुरू करने पर जोर दिया है.
समिति ने आगे कहा है कि साझा सांस्कृतिक विरासत और सभ्यतागत संबंध भरोसा बहाल करने का मजबूत माध्यम हैं. रिपोर्ट में हर साल संयुक्त सांस्कृतिक कार्यक्रम, ढाका से बाहर ICCR के सैटेलाइट सेंटर और युवा आदान-प्रदान, पर्यटन व बॉर्डर हाट्स को बढ़ावा देने की सिफारिश की गई है.
वीजा सुविधा को भी अहम बताया गया है. 2023 में भारत ने 16 लाख से ज्यादा वीजा जारी किए थे. अगस्त 2024 के बाद सेवाएं कम हुईं, लेकिन समिति ने सुरक्षा स्थिति के अनुसार धीरे-धीरे सामान्यीकरण की सलाह दी है.
जल बंटवारा, जलवायु और पर्यावरण का भी जिक्र…
भारत और बांग्लादेश के बीच 54 साझा नदियां हैं. जल सहयोग संवेदनशील होने के बावजूद बेहद जरूरी बताया गया है. गंगा जल संधि 2026 में खत्म हो रही है, ऐसे में समिति ने अद्यतन हाइड्रोलॉजिकल डेटा के आधार पर समय रहते बातचीत शुरू करने और पश्चिम बंगाल व बिहार जैसे राज्यों से करीबी परामर्श की सलाह दी है. तीस्ता जैसी अनसुलझी नदियों पर भी नए दृष्टिकोण से समाधान खोजने को कहा गया है.
जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर सुंदरबन क्षेत्र में संयुक्त अनुकूलन परियोजनाएं, उन्नत तकनीक से बाढ़ पूर्वानुमान और नदी व पारिस्थितिकी प्रबंधन के लिए व्यापक द्विपक्षीय ढांचे की जरूरत बताई गई है.
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