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किश्तवाड़ के चिशोती में चमत्कार, 30 घंटे मलबे में दबे रहने के बाद लंगर चलाने वाले सुभाष जिंदा निकले

August 17, 2025

किश्तवाड़: जम्मू कश्मीर (Jammu Kashmir) के किश्तवाड़ (Kishtwar) में बादल फटने (Cloudburst) और बाढ़ (Floods) से मची तबाही के बीच करीब 30 घंटे तक मलबे में दबे रहने के बाद लंगर चलाने वाले सुभाष चंद्र (Subhash Chandra) को जिंदा बाहर निकाला गया. सुभाष लंबे समय से माता मचैल यात्रा (Mata Machail Yatra) पर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए लंगर लगाते रहे हैं. उनके लंगर में हर साल हजारों यात्री रुककर भोजन करते और थकान मिटाते थे. जम्मू कश्मीर के किश्तवाड़ की पहाड़ियों में लोग अक्सर एक कहावत सुनाते हैं कि माता मचैल जिसकी रक्षा करती हैं उसका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता. शुक्रवार को चिशोती गांव में बचाव अभियान के दौरान यह कहावत हकीकत बन गई.

बादल फटने से मची तबाही के बीच माता मचैल यात्रा के लंगर में सेवा कर रहे सुभाष चंद्र 30 घंटे तक मलबे में दबे रहने के बाद जिंदा बाहर निकाले गए. गांव में राहत कार्य की देखरेख कर रहे विपक्ष के नेता सुनील शर्मा ने कहा कि जिसे भगवान बचाते हैं उसका कोई बाल भी बांका नहीं कर सकता. सुभाष सालों से श्रद्धालुओं की निस्वार्थ सेवा कर रहे हैं, माता ने उनकी रक्षा की. उन्हें मौत के मुंह से बचा लिया.

केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने जम्मू में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान सुभाष के बचाव का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि सुभाष जिंदा बच गए और वह लंगर चलाने वालों में शामिल थे. 14 अगस्त को जब बादल फटने से अचानक बाढ़ आई तो गांव में भारी तबाही मच गई थी. उस समय अनुमानित 200-300 तीर्थयात्री लंगर में मौजूद थे और करीब 1,000 से 1,500 लोग पूरे इलाके में थे.


उधमपुर के सुभाष सालों से माता मचैल यात्रा पर आने वाले भक्तों की सेवा को ही अपना धर्म मानते रहे हैं. हर साल यात्रा के दौरान वह अपने साथियों के साथ मिलकर दुर्गम पहाड़ी रास्तों से थके-हारे श्रद्धालुओं के लिए लंगर लगाते थे. इस बार भी उनका लंगर रोजाना सैकड़ों यात्रियों को भोजन करा रहा था, लेकिन दोपहर में अचानक आई बाढ़ ने सब कुछ बहा दिया. देखते ही देखते लंगर पानी और मलबे में समा गया और कई श्रद्धालु लकड़ियों और मलबो के नीचे दब गए.

शुक्रवार को जब सेना, पुलिस, NDRF, SDRF और स्थानीय लोग लंगर के पास मलबा हटा रहे थे, तभी उन्हें सुभाष जिंदा मिल गए. उनके पास से चार शव भी निकाले गए. एक सैन्य अधिकारी ने बताया कि मलबे से कोई जिंदा मिला. यह किसी चमत्कार से कम नहीं. शनिवार को राहत टीमों ने चार और लोगों को जिंदा बाहर निकाला.

नायब तहसीलदार सुशील कुमार ने जानकारी देते हुए कहा कि बचाव के बाद सुभाष को पहले स्थानीय अस्पताल ले जाया गया फिर बेहतर इलाज के लिए किश्तवाड़ जिला अस्पताल भेजा गया. जांच के बाद डॉक्टरों ने बताया कि उनकी चोटें गंभीर नहीं हैं इसलिए उन्हें छुट्टी दे दी गई. स्थानीय लोगों ने इसे ईश्वरीय चमत्कार मानते हुए कहा कि सुभाष की वर्षों से की गई तीर्थयात्रियों की, सेवा का ही फल है कि वो इस आपदा से सुरक्षित बच गए.

14 अगस्त को चिशोती गांव में लगा लंगर कुछ ही मिनटों में मातम का केंद्र बन गया जब अचानक बादल फटने से पानी और मलबे का भयानक सैलाब आ गया. प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक उस वक्त वहां करीब 200 से 300 लोग मौजूद थे. हादसे में कई लोग घायल हो गए. दोपहर करीब 12 बजकर 25 मिनट पर मचैल माता मंदिर जाने वाले रास्ते पर चिशोती गांव में यह आपदा आ गई. इस हादसे में अब तक 60 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 100 से ज्यादा लोग घायल बताए जा रहे हैं.

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