
मुंबई । मनसे प्रमुख राज ठाकरे (MNS chief Raj Thackeray) ने महाराष्ट्र में बच्चों के अपहरण की बढ़ रही घटनाओं पर चिंता जताई (Concern over the increasing incidents of Child Kidnapping in Maharashtra) । उन्होंने शनिवार को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवसी को इस विषय पर ध्यान देने की बात कही।
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट कर लिखा, “मैं मुख्यमंत्री फडणवीस का ध्यान एक बहुत ही महत्वपूर्ण और गंभीर मुद्दे की ओर दिलाना चाहता हूं। महाराष्ट्र में बच्चों के अपहरण और लापता होने की घटनाएं बढ़ रही हैं। एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार, अगर हम पिछले समय को भी देखें, तो 2021 से 2024 तक यह दर लगभग 30 प्रतिशत बढ़ गई है। अंतरराज्यीय गिरोह बन गए हैं जो छोटे बच्चों का अपहरण करते हैं और फिर उनसे मजदूरी करवाते हैं या सड़कों पर भीख मंगवाते हैं। और ये गिरोह बेखौफ होकर छोटे बच्चों का अपहरण कर रहे हैं, और यह साफ नहीं है कि सरकार इस बारे में क्या कर रही है?”
उन्होंने लिखा, “हम महाराष्ट्र में सरकार से ऐसा जवाब नहीं चाहते कि बच्चों के अपहरण के इतने मामले दर्ज किए गए हैं, और उनमें से ‘एक्स’ प्रतिशत बच्चों को ढूंढकर सुरक्षित उनके परिवारों को लौटा दिया गया है। मूल रूप से, एनसीआरबी द्वारा बताए गए आंकड़े सिर्फ यह बताते हैं कि कितने माता-पिता ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है, लेकिन क्या सच में कुछ हजार ऐसी शिकायतें भी पुलिस तक पहुंचती हैं? और अगर किसी बच्चे को किसी तरह बचा लिया जाता है और वापस लौटा दिया जाता है, तो उस दौरान उनके छोटे दिमाग पर हुए सदमे का क्या? इससे भी बड़ी बात यह है कि इन बच्चों का अपहरण करने वाले गिरोहों को काम करने की इजाजत कैसे दी जा रही है और वे इतनी हिम्मत और बिना किसी डर के अपनी गतिविधियां कैसे चला रहे हैं?”
उन्होंने लिखा, “क्या सरकार को इस पर कोई सख्त कार्रवाई करने की जरूरत महसूस नहीं होती? आज, जब हम छोटे बच्चों को सड़कों पर, स्टेशनों पर या बस स्टैंड पर भीख मांगते हुए देखते हैं, तो वे कौन हैं? क्या उनके साथ भीख मांगने वाले वयस्क सच में उनके माता-पिता हैं? क्या सरकार को जांच के आदेश नहीं देने चाहिए या अगर जरूरी हो, तो डीएनए टेस्ट नहीं करवाने चाहिए?”
राज ठाकरे ने इन विषयों को विधानसभा में उठाने की मांग करते हुए लिखा, “आज, इस राज्य में, छोटे बच्चों का अपहरण हो रहा है, छोटी लड़कियों का अपहरण हो रहा है, और महाराष्ट्र में जमीन पर कब्जा किया जा रहा है। क्या इस पर विधानसभा में चर्चा नहीं होनी चाहिए और प्रशासन को सर्वसम्मति से कदम उठाने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए? क्या सत्ताधारी और विपक्षी दलों को ऐसा महसूस नहीं होता? क्या शीतकालीन सत्र सिर्फ सरकार के खराब बजट अनुमानों को ठीक करने के लिए अनुपूरक मांगों को मंजूरी देने की सुविधा के लिए है?”
उन्होंने लिखा, “ज्यादातर मंत्री सदन से तब गैरमौजूद रहते हैं जब जवाब की जरूरत होती है। नतीजतन, स्थिति ऐसी है कि लापता बच्चों या अपहृत लड़कियों जैसे मुद्दों पर विधानसभा में चर्चा की उम्मीद करना भी अनुचित लगता है, लेकिन यह महाराष्ट्र की उम्मीद है। सच तो यह है कि केंद्र सरकार को इस मामले पर सभी राज्यों से बात करनी चाहिए और इस पर टास्क फोर्स बनानी चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं लगता कि केंद्र सरकार, जो अभी ‘वंदे मातरम’ पर गरमागरम बहस कर रही है, माताओं का दर्द सुनेगी! राज्य के मुख्यमंत्री और गृह मंत्री होने के नाते, हम आपसे उम्मीद करते हैं कि आप न सिर्फ सेशन में इस पर चर्चा करवाएंगे, बल्कि कुछ ठोस कदम भी उठाएंगे।”
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