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मोदी सरकार का महंगाई पर चौतरफा वार, आटा-तेल से लेकर पेट्रोल-डीजल तक होगा सस्‍ता

February 16, 2023

नई दिल्‍ली (New Delhi) । महंगाई (inflation) पर मोदी सरकार (Modi government) का चौतरफा वार शुरू हो गया है। इसका असर आने वाले कुछ ही दिन में देखने को मिलेगा। अभी गेहूं (Wheat) पांच रुपये सस्ता हुआ है। आटा-तेल-दाल (flour-oil-lentils) पर भी जल्द नंबर आने वाला है। क्योंकि, घरेलू बाजार (domestic market) में दाम पर अंकुश के लगाने लिए गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लग गया है। ओएमएसएस के तहत, केंद्र ने पिछले हफ्ते खाद्यान ढुलाई शुल्क को खत्म कर दिया है। दलहन के आयात शुल्क में भारी कटौती के साथ ही जमाखोरी करने वालों के खिलाफ सख्त अभियान चलेगा। जबकि, खाद्य तेल के आयात शुल्क में कटौती पिछले एक साल से लागू है।

केंद्रीय खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने बुधवार को कहा कि केंद्र के खुले बाजार में 30 लाख टन गेहूं बेचने के फैसले के बाद थोक और खुदरा बाजारों में गेहूं की कीमतों में करीब पांच रुपये प्रति किलोग्राम की कमी आई है। उन्होंने उम्मीद जताई कि आने वाले दिनों में कीमतों में और गिरावट आएगी। उन्होंने जोर देकर कहा कि दरों को कम करने के लिए यदि जरूरी हुआ, तो और कदम उठाए जाएंगे।


चोपड़ा ने कहा कि देशभर में बुधवार को 15 लाख टन गेहूं की दूसरे दौर की नीलामी हो रही है। उन्होंने कहा कि सरकार गेहूं और आटे (गेहूं का आटा) की कीमतों पर बारीकी से नजर रख रही है और जरूरत पड़ने पर कीमतों को कम करने और उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए मुक्त बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत अधिक गेहूं की पेशकश करने सहित अन्य कदम उठाएगी। उन्होंने कहा, जनवरी में ओएमएसएस की घोषणा के बाद से गेहूं की कीमतें नीचे आ गई हैं।

इस मौके पर खाद्य सचिव ने कहा कि थोक मूल्य 3,000 रुपये प्रति क्विंटल से गिरकर लगभग 2,500 रुपये प्रति क्विंटल रह गया है, जबकि खुदरा मूल्य 3,300-3,400 रुपये प्रति क्विंटल से घटकर 2,800-2,900 रुपये प्रति क्विंटल रह गया है। पिछले महीने, सरकार ने गेहूं और गेहूं के आटे की बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए ओएमएसएस के तहत अपने बफर स्टॉक से खुले बाजार में 30 लाख टन गेहूं बेचने की योजना की घोषणा की थी।

30 लाख टन में से भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ई-नीलामी के माध्यम से आटा चक्की जैसे थोक उपभोक्ताओं को 25 लाख (2.5 मिलियन) टन गेहूं बेचेगा और दो लाख टन राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को दिया जाएगा। गेहूं को आटे में बदलने के लिए संस्थानों और राज्य-पीएसयू को तीन लाख टन गेहूं रियायती दर पर उपलब्ध कराया जा रहा है। एफसीआई 1-2 फरवरी के दौरान हुई पहली ई-नीलामी के दौरान 25 लाख टन में से 9.26 लाख टन गेहूं व्यापारियों, आटा मिलों आदि को पहले ही बेच चुका है।

निर्यात प्रतिबंध अभी नहीं हटेगा
खाद्य सचिव ने कहा कि सरकार गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध हटाने के किसी भी प्रस्ताव पर अभी विचार नहीं कर रही है। यह प्रतिबंध पिछले साल मई में गेहूं की खरीद में भारी गिरावट के बाद लगाया गया था। उन्होंने कहा, भारत सरकार बहुत चिंतित है और स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रही है। चोपड़ा ने कहा कि कीमतों को काबू में करने के लिए हर जरूरी विकल्प पर विचार होगा। उठाएंगे। विकल्पों में ओएमएसएस के तहत मात्रा को मौजूदा 30 लाख टन से बढ़ाना और आरक्षित मूल्य को कम करना भी शामिल है।

आटा सस्ता करने के लिए दाम और घटाया
खाद्य सचिव ने कहा सरकार ने हाल ही में नेफेड और केंद्रीय भंडार जैसे संस्थानों के लिए गेहूं को आटे में परिवर्तित करने और उपभोक्ताओं को 27.50 रुपये प्रति किलोग्राम पर बेचने के लिए कीमतों को 23.50 रुपये से घटाकर 21.50 रुपये प्रति किलोग्राम कर दिया है, जबकि पहले की दर 29.50 रुपये प्रति किलोग्राम थी। ओएमएसएस के तहत, केंद्र ने पिछले हफ्ते माल ढुलाई शुल्क को खत्म करने और ई-नीलामी के माध्यम से पूरे भारत में थोक उपभोक्ताओं को 2,350 रुपये प्रति क्विंटल के आरक्षित मूल्य पर अनाज बेचने का फैसला किया था। राज्यों को अपनी योजनाओं के लिए ई-नीलामी में भाग लिए बिना उपरोक्त आरक्षित मूल्य पर एफसीआई से गेहूं खरीदने की अनुमति है।

पेट्रोल-डीजल पर टैक्स में कटौती संभव
सूत्रों के हवाले से बताया गया कि सरकार महंगाई पर अंकुश के लिए पेट्रोलियम उत्पादों पर टैक्स घटाने पर विचार कर रही है। हालांकि, इसका फैसला फरवरी के महंगाई के आंकड़े आने के बाद लिए जाने की उम्मीद है। जनवरी में खुदरा महंगाई 5.72 फीसदी से बढ़कर 6.52 फीसदी पर पहुंच गई है। सरकार पेट्रोलियम के अलावा अन्य उत्पादों पर भी टैक्स कटौती पर विचार कर रही है।

महंगाई से बड़ी राहत के लिए इंतजार बढ़ेगा
खुदरा महंगाई में जनवरी में फिर उछाल ने मुश्किलें बढ़ा दी हैं। विशेषज्ञों का कहना है पिछले साल नवंबर-दिसंबर में थोड़ी राहत मिली थी। लेकिन खाद्य कीमतों में तेजी की वजह से खुदरा महंगाई दोबारा बढ़ गई है। इससे महंगाई से जल्द राहत की उम्मीद नहीं है। ऐसे में रिजर्व बैंक के लिए दरों में कमी करना या तेजी के रुख को रोकने का फैसला करना मुश्किल होगा।

बेहद मुश्किल दौर से गुजर रही विश्व की अर्थव्यवस्था: आईएमएफ
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की प्रबंध निदेशक क्रिस्टालिना जॉर्जीवा का कहना है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था अभी भी कई तरह के दबाव झेल रही है। बेशक दुनिया कोरोना काल से भले ही उबरती नजर आ रही हो लेकिन अर्थव्यवस्था के सामने अभी भी कई संकट मौजूद हैं। कई देशों में वैश्विक महंगाई का असर जरूर कम होता देखने को मिला है लेकिन अर्थव्यवस्था अभी भी मुश्किल के दौर से गुजर रही हैं। जॉर्जीवा कहती हैं कि कोरोना के बाद चीजें पटरी पर जरूर लौटी हैं लेकिन वैश्विक अर्थव्यवस्था अभी भी संकट के दौर में है।

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