
नई दिल्ली: अमेरिका (America) ने भारत (India) पर कुल 50 फीसदी टैरिफ लगाया है, भारतीय कारोबार (Indian businesses) के लिए ये एक चुनौती है. क्योंकि बीते साल अमेरिका भारत का सबसे बड़ा कारोबारी पार्टनर रहा था. टैरिफ की वजह से भारतीय निर्यात पर असर पड़ने वाला है. लेकिन भारत लगातार ऐसे कदम उठा रहा है, जिससे देश की आर्थिक तरक्की बरकरार रहे. इसी कड़ी में पिछले दिनों भारत में GST रिफॉर्म जैसा बड़ा कदम उठाया गया. साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की जनता से स्वदेशी अपनाने की अपील की, ताकि घरेलू उद्योग को बढ़ावा मिले. भारत को मैन्यूफैक्चरिंग हब बनाने के लिए सरकार लगातार कोशिश कर रही है.
अब नीति आयोग के सीईओ BVR सुब्रह्मण्यम ने बड़े संकेत दिए हैं. उनका मानना है कि भारत सरकार दिवाली तक आर्थिक सुधार की दिशा में और अधिक सुधारात्मक घोषणाएं कर सकती हैं. उन्होंने बताया कि फिलहाल 13–14 प्रमुख क्षेत्रों में सुधार की तैयारियां चल रही हैं, जिनमें विशेष रूप से व्यापार (Trade) और MSME (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) सेक्टर्स पर बड़ी ध्यान केंद्रित है. उनका कहना है कि ये सेक्टर्स भारत की अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाई पर जाने के काम कर सकते हैं. इसलिए इन क्षेत्रों में सुधारात्मक बदलावों से उत्पादन क्षमता, नवप्रवर्तन और प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ावा मिलेगा.
नीति आयोग के सीईओ BVR सुब्रह्मण्यम ने रविवार को बताया कि दीवाली तक भारत में बड़े सुधारों की घोषणाओं का एक और दौर देखने को मिल सकता है. क्योंकि मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर को आगे बढ़ाने में सरकार का पूरा फोकस है. नीति आयोग के CEO ने यह भी बताया कि कैबिनेट सचिव राजीव गौबा के नेतृत्व में कई समितियों ने प्रस्तावित सुधार उपायों पर अपनी पहली रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी है, जिससे संकेत मिलता है कि सरकार का संरचनात्मक सुधार अभियान गति पकड़ रहा है.
इसके अलावा, उन्होंने यह स्पष्ट किया कि सरकार National Manufacturing Mission नामक से एक पहल को जल्द लॉन्च करने की तैयारी में है. इस मिशन का लक्ष्य है भारत की मैन्युफैक्चरिंग प्रतिस्पर्धात्मकता को मजबूत करना, औद्योगिक आधार को विविध बनाना और वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं (global value chains) से भारत को अधिक गहराई से जोड़ना.
उन्होंने बताया कि एक्सपोर्ट बढ़ाने पर भी सरकार का पूरा फोकस है. भारत ने अभी भी उन वस्तुओं का व्यापार किया है, जो वैश्विक स्तर पर अत्यधिक व्यापार नहीं करती हैं. समय की मांग है कि भारत ऐसे उत्पादों में प्रवेश करे, जिनकी मांग विश्व स्तर पर हो, न कि केवल उन में जहां कभी भारतीय दबदबे थे.
कुल मिलाकर, सुब्रह्मण्यम की यह टिप्पणी संकेत देती है कि सरकार ने आगामी समय में न केवल अर्थव्यवस्था को गति देने की रणनीति बनाई है, बल्कि वास्तविक धरातल पर सुधारात्मक कदम प्रभावी रूप से लेने का इरादा रखती है. अगर ये घोषणाए दिवाली तक हों, तो वे निवेशकों, उद्योग और आम जनता के बीच सकारात्मक उम्मीद जगाएंगी.
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