
नई दिल्ली। संस्थागत मध्यस्थता (Institutional mediation) को बढ़ावा देने तथा ऐसे मामलों में अदालती हस्तक्षेप (Court intervention) को कम करने के लिए केंद्र सरकार (Central government) ने एक मसौदा विधेयक (draft bill) पेश किया है। विधि मंत्रालय (Ministry of Law) के विधिक मामलों के विभाग ने मध्यस्थता और सुलह (संशोधन) विधेयक, 2024 के मसौदे पर टिप्पणियां आमंत्रित की है।
नियुक्त आपातकालीन मध्यस्थ, मध्यस्थता परिषद के निर्दिष्ट तरीके से कार्यवाही का संचालन करेगा। साथ ही मसौदा विधेयक में वर्तमान कानून के कुछ खंडों को भी हटा दिया गया है। हटाए गए खंडों में से एक, संसद सत्र के दौरान प्रस्तावित अधिसूचनाओं को दोनों सदनों में रखे जाने से संबंधित है।
उपराष्ट्रपति ने पिछले साल जताया था दुख
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने पिछले वर्ष इस बात पर दुख जताया था कि सेवानिवृत्त न्यायाधीशों ने देश की मध्यस्थता प्रणाली को अपनी मुट्ठी में जकड़ रखा है। इससे अन्य योग्य लोगों को मौका नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने कहा था कि भारत अपने समृद्ध मानव संसाधनों के लिए जाना जाता है, लेकिन उन्हें मध्यस्थता प्रक्रिया का फैसला करने के लिए नहीं चुना जाता है।
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