
नई दिल्ली. समय- रात 11.45, स्थान- ढाका. दिन- गुरुवार. बांग्लादेश (Bangladesh) के राष्ट्रपिता (Father of the Nation) शेख मुजीबुर्रहमान (sheikh mujibur rehman) का घर (Home) धानमंडी-32 धीरे-धीरे खाक में तब्दील हो रहा है. इमारत से आग निकल रही है. बाहर करीब 500-600 लोगों की भीड़ है. ये वो भीड़ है जो उस शख्स के घर को जलता हुआ देख ताली बजा रही थी जिन्होंने सबसे पहले एक अलग राष्ट्र के रूप में बांग्लादेश का सपना देखा था.
शेख मुजीबुर्रहमान के घर के परिसर में कम से कम 100 लोग मौजूद थे. कुछ लोग हथौड़ों की मदद से इमारत को तोड़ रहे थे, कुछ ईंटों और छड़ों को अलग कर रहे थे. लाउडस्पीकरों का उपयोग करते हुए, छात्र संगठनों की आड़ लिए ये गुंडे 15 साल के शासन के दौरान अवामी लीग द्वारा कथित रूप से किए गए सभी गलत कामों के लिए न्याय की मांग कर रहे थे.
सबसे हैरानी की बात यह है कि इस दौरान बांग्लादेश के राष्ट्रपिता के विरासत की हिफाजत के लिए मोहम्मद यूनुस सरकार का एक कॉन्स्टेबल भी वहां मौजूद नहीं था.
बांग्लादेश के 24 जिलों में गुरुवार दिन-रात हिंसा होती रही. निशाने पर रहे शेख हसीना की पार्टी आवामी लीग के नेता. छात्र संगठनों की आड़ लिए गुंडे आवामी लीग के नेताओं के घर जला रहे हैं. बंग बंधु शेख मुजीबुर्रहमान की पेंटिग्स जलाई जा रही हैं, प्रतिमाएं तोड़ी जा रही है या फिर इन प्रतिमाओं को काले रंगों से रंगा जा रहा है.
इन गुंडों ने ही गुरुवार को शेख मुजीबुर्रहमान के ऐतिहासिक घर धानमंडी-32 के बचे खुचे हिस्से को भी जला दिया. बांग्लादेश के अखबार ‘ द डेली स्टार’ ने रिपोर्ट किया है कि प्रदर्शनकारियों का एक समूह धनमंडी-32 में नॉनवेज पार्टी का आयोजन कर रहा था, जबकि कल रात बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान के ध्वस्त किये गये घर के अवशेष ले जाये जा रहे थे.
क्रेन और बुलडोजर लेकर पहुंचे प्रदर्शनकारी गुंडे
भारत में निर्वासित जीवन जी रहीं शेख हसीना की ओर ऑनलाइन संबोधन के आयोजन के बाद बांग्लादेश में उनके विरोधियों के कान खड़े हो गए. उन्होंने आनन-फानन में बुधवार को फेसबुक के जरिये बुलडोजर मार्च का आयोजन किया. बुधवार रात को धानमंडी-32 में बुलडोजर और क्रेन गरजने लगे, रात 2 बजे तक इस बिल्डिंग को तबाह कर दिया गया.
बाकी रही सही कसर गुरुवार को पूरा की गई. और इस इमारत को तहस-नहस कर दिया गया. कथित प्रदर्शनकारी कई ऐतिहासिक चीजें लूट कर ले गए. धानमंडी-32 में ये प्रदर्शनकारी गुरुवार को दिन भर नारे लगाते रहे. दिल्ली या ढाका… ढाका, ढाका. दलाली या मुक्ति… मुक्ति, मुक्ति.
हसीना के घर सुधा-सदन को भी जलाया
धानमंडी-32 के बाद इन लफंगों की फौज ने धानमंडी-5 पर स्थित शेख हसीना के घर सुधा-सदन को भी जला दिया. देश के राष्ट्रीय धरोहरों की की तबाही-आगजनी और लूट पर मोहम्मद यूनुस सरकार की प्रतिक्रिया बेहद सतही और हैरान करने वाली है.
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने प्रदर्शनकारियों के प्रति नरमी दिखाते हुए कहा कि ये लोग शेख हसीना की भड़काऊ स्पीच से गुस्सा हो गए. गौरतलब है कि शेख हसीना जब भारत से बांग्लादेश में अपने कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रही थीं ठीक उसी समय गुडे बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान के घर को आग लगा रहे थे.
जनता के गुस्से का प्रकोप बता गई यूनुस सरकार
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के चीफ मोहम्मद यूनुस ने कहा कि शेख मुजीबुर रहमान के आवास को ध्वस्त करना “अनपेक्षित और अप्रत्याशित” था, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि यह बर्बरता भारत में रह रहीं शेख हसीना भड़काऊ बयानों के कारण पैदा हुए “जनता के गुस्से का प्रकोप” था.
धानमंडी-32 को उपद्रवियों के हाथों छोड़ देने वाली यूनुस सरकार ने कहा कि “जुलाई विद्रोह के खिलाफ भारत में रह रहीं शेख हसीना द्वारा दिए गए भड़काऊ बयानों से लोगों में गहरा गुस्सा पैदा हुआ है, जो इस घटना में प्रकट हुआ है.”
बांग्लादेश सरकार के बयान में कहा गया है कि हसीना ने जुलाई के विद्रोह में अपने प्राणों की आहुति देने वालों का “अपमानित और अमर्यादित” किया है और उन्होंने उसी लहजे में बात की है, जैसा वह सत्ता में रहते हुए बोलती थीं, जिसमें उन्होंने जन-विद्रोह में शामिल सभी लोगों को धमकाया था.
यूनुस विवाद में भारत को ला रहे हैं
यूनुस सरकार ने भले ही धानमंडी-32 की सुरक्षा के लिए कुछ नहीं किया लेकिन भारत पर अनर्गल बयानबाजी से बाज नहीं आई. इस बयान में आगे कहा गया है, “सरकार को उम्मीद है कि भारत बांग्लादेश में अस्थिरता पैदा करने के लिए अपने क्षेत्र का इस्तेमाल नहीं होने देगा और शेख हसीना को बोलने नहीं देगा. अंतरिम सरकार नहीं चाहती कि भविष्य में ऐसी घटनाएं फिर से हों.”
बांग्लादेश में अशांति के बाद वहां के विदेश मंत्रालय ने पहले भारत के उप उच्चायुक्त पवन बाधे के समक्ष विरोध दर्ज कराते हुए कहा कि हसीना की “झूठी और मनगढ़ंत टिप्पणियां” ढाका के विरुद्ध “शत्रुतापूर्ण कार्य” हैं.
बांग्लादेश ने भारत से “तत्काल उचित कदम उठाने, आपसी सम्मान और समझ की भावना से, उन्हें भारत में रहते हुए सोशल मीडिया और अन्य संचार माध्यमों का उपयोग करके इस तरह के झूठे, मनगढ़ंत और भड़काऊ बयान देने से रोकने के लिए” कहा.
हसीना ने चेताया- इतिहास बदला लेता है
77 वर्षीय हसीना पिछले साल 5 अगस्त से भारत में रह रही हैं, जब वे छात्रों के नेतृत्व में हुए बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन के बाद बांग्लादेश से भाग गई थीं.
बुधवार रात को अपने भाषण में हसीना ने देशवासियों से मौजूदा शासन के विरुद्ध प्रतिरोध संगठित करने का आह्वान किया था.
बांग्लादेशियों को संबोधित करते हुए हसीना ने भावुक आवाज में कहा कि पाकिस्तानी सैनिकों ने भी 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान घर को लूटा था, लेकिन इसे ध्वस्त नहीं किया था न हीं आग लगाई थी.
हसीना ने अपने पिता के घर को ध्वस्त किए जाने के दौरान कहा, “वे इमारत को ध्वस्त कर सकते हैं, लेकिन इतिहास को नहीं… लेकिन उन्हें यह भी याद रखना चाहिए कि इतिहास अपना बदला लेता है.”
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