
पटना: एक ओर जहां गरीब उम्मीदवारों (Poor Candidates) के लिए चुनाव लड़ना दिन-ब-दिन मुश्किल होता जा रहा है, वहीं दूसरी ओर करोड़ों की संपत्ति (Property Worth Crores) वाले प्रत्याशी चुनावी मैदान पर हावी हैं. आंकड़ों के अनुसार, एनडीए और महागठबंधन दोनों के ही करीब 73 प्रतिशत प्रत्याशी करोड़पति हैं. ये चौंकाने वाला खुलासा बिहार (Bihar) विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) के पहले चरण में उम्मीदवारों की संपत्ति घोषित करने के साथ हुआ है. चुनाव आयोग में दाखिल हलफनामों (Affidavits) से पता चला है कि एनडीए के 92 और महागठबंधन के 86 उम्मीदवार करोड़पति हैं. इससे साफ है कि बिहार की सियासत में अब पैसा और प्रभावशाली चेहरों की भूमिका और मजबूत हुई है.
पहले चरण की 121 सीटों पर मुकाबला बेहद दिलचस्प है. 64 उम्मीदवारों की संपत्ति 5 करोड़ से ज्यादा है, जबकि 29 उम्मीदवार ऐसे हैं जिनकी संपत्ति 10 करोड़ से ऊपर बताई गई है. रिपोर्ट के मुताबिक, सबसे अमीर उम्मीदवारों में एनडीए के नेता और व्यवसायी पृष्ठभूमि वाले प्रत्याशी शीर्ष पर हैं.वहीं, दूसरी ओर गरीब उम्मीदवारों की सूची भी चर्चा में है. भाकपा माले (मार्क्सवादी लेनिनवादी) के वृंदावन आरसी की संपत्ति मात्र 37 हजार रुपये बताई गई है. इसी तरह आरजेडी के एक प्रत्याशी के पास कुल संपत्ति करीब 55 हजार रुपये बताई गई है.
राजनीति के जानकारों का मानना है कि यह आंकड़ा बिहार की सियासत में आर्थिक असमानता का संकेत है-जहां एक ओर करोड़ों में खेलने वाले प्रत्याशी हैं, वहीं दूसरी ओर वे उम्मीदवार भी हैं जिनके पास प्रचार के लिए पर्याप्त संसाधन तक नहीं. चुनाव आयोग के हलफनामों से यह भी पता चला है कि कई उम्मीदवारों पर आपराधिक मामले भी दर्ज हैं, लेकिन संपत्ति के मामले में सभी प्रमुख दलों के उम्मीदवारों में प्रतिस्पर्धा दिखाई दे रही है.
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