
नई दिल्ली: मतदाता सूची (Voter List) में गड़बड़ी को लेकर देशभर में सियासी हलचल तेज हो गई है. बीजेपी (BJP) का आरोप है कि यह महज लापरवाही नहीं, बल्कि विपक्षी दलों (Opposition Parties) की सुनियोजित साजिश है, जिसका मकसद लोकतंत्र (Democracy) को कमजोर करना है. बिहार में चुनावी साल के बीच पश्चिम बंगाल (West Bengal) में यह मुद्दा और भी गंभीर हो गया है, जहां ममता बनर्जी की सरकार पर फर्जी (Fake) वोटरों के सहारे चुनाव परिणाम प्रभावित करने का आरोप लगाया जा रहा है. बीजेपी का कहना है कि बंगाल में फ्री एंड फेयर चुनाव संभव ही नहीं है. इसी महीने आई एक स्टडी रिपोर्ट ने बीजेपी के इन आरोपों को और बल दिया है. रिपोर्ट में सामने आए तथ्य के आधार पर चुनाव आयोग से तुरंत सख्त कार्रवाई की मांग हो सकती है.
अगस्त 2025 में आई इस स्टडी रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पश्चिम बंगाल की 2024 की वोटर लिस्ट में करीब 1.04 करोड़ फर्जी नाम दर्ज हैं. यह कुल वोटरों का लगभग 13.7% हिस्सा है. रिपोर्ट में सामने आया है कि 2004 में 4.74 करोड़ वोटर थे, 2024 तक 6.57 करोड़ (जनसंख्या, उम्र,मौत और नए 18 साल के वोटरों को जोड़कर) होने चाहिए थे.
इस रिपोर्ट को एस पी जैन, इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड रिसर्च, मुंबई के विधु शेखर और आईआईएम विशाखापट्टनम के मिलन कुमार ने तैयार किया है. इस स्टडी में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं जिसमें बहुत से मृत लोगों के नाम अब भी वोटर लिस्ट में दर्ज हैं. कई नाबालिग और राज्य छोड़ चुके लोग भी वोटर के तौर पर मौजूद हैं. कुछ जिलों में तो वोटरों की संख्या वहां की वास्तविक आबादी से भी ज्यादा पाई गई. रिपोर्ट का कहना है कि यह महज लापरवाही नहीं,बल्कि सुनियोजित गड़बड़ी हो सकती है.
बीजेपी लंबे समय से यह आरोप लगाती रही है कि टीएमसी सरकार और स्थानीय प्रशासन ने चुनावी फायदा उठाने के लिए फर्जी नाम जोड़े. पार्टी कहती रही है कि जब तक मतदाता सूची की पारदर्शी जांच नहीं होती,तब तक बंगाल में निष्पक्ष चुनाव संभव नहीं है. बीजेपी ने Special Intensive Revision (SIR) की मांग की है, जिसके तहत घर-घर जाकर मृतक और डुप्लीकेट नाम हटाए जाएं,वोटर लिस्ट को आधार और जन्म-मृत्यु रजिस्टर से जोड़ा जाए. टीएमसी ने हालांकि इन आरोपों को राजनीति से प्रेरित करार दिया है और कहा है कि बीजेपी चुनाव हारने के डर से बेबुनियाद बातें कर रही है.
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