
इंदौर। साधु मार्गी जैन समता संघ की अगुवाई में 700 से ज्यादा समाजजनों ने शनिवार दोपहर तप आराधना और साधु जीवन का क्रम अपनाया, जो तकरीब 20 तक जारी रहा। मोबाइल एवं अत्याधुनिक भौतिक संसाधनों से दूर साधु जीवन की यह सामूहिक सामायिक के लिए अध्यात्म और जीवन दर्शन से जोडक़र देखा जा रहा है। यशवंत निवासी रोड स्थित समता भवन में मुनि प्रवर आदित्य महाराज आदि ठाणा-4 एवं साध्वी श्रीकांत महाराज आदि ठाणा-15 की अगुवाई में शनिवार दोपहर 3 बजे से सामूहिक सामायिक शुरू हुई। इसमें 48 मिनिट से 20 घंटे तक की अलग-अलग सामायिक रखी गई थी।
साधु मार्गी समता संघ के अध्यक्ष पारस बोहरा, चित्रेश मेहता ने बताया कि आज के दौर में मोबाइल और सोशल मीडिया के साथ हम स्वयं एवं परिवार को ज्यादा समय नहीं देते, ऐसे में यह सामायिक समाज में नई चेतना और दिशा देने का काम करेगी। मुनि प्रवर आदित्य महाराज ने बातया कि इस सामायिक में श्रावक-श्राविकाओं को अहिंसा, सत्य, अपरिग्रहण, ब्रह्मचर्य और अ-चोरी इन पांच नियमों का पालन किया गया।
11 से 19वीं शताब्दी धर्म परिवर्तन का दौर
मुनि प्रवर आदित्य महाराज ने अपने उद््बोधन में कहा कि 11 से 19वीं शताब्दी का दौर मुगल और अंग्रेजों की गुलामी के साथ धर्म पर कुठाराघात का दौर था। इस समय में कितनी ही ममता मुमताज हो गई और कितने ही महावीर मोहम्मद हो गए। हमारे पूर्वजों ने कठिनतम दौर और परेशानियों में अपना जीवन सदियों तक व्यतीत किया। धर्म पर भी इस दौरान कुठाराघात हुआ, धर्म परिवर्तन भी कराए गए। इस दौरान हमारे धर्मगुरुओं को भी आघात पहुंचा। आज अगर हमारे सामने धर्म और संस्कृति की बातें होती हैं तो इसके पीछे हमारे धर्मगुरुओं की कठिन तपस्या और उनका समर्पण है।
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