
नई दिल्ली. सीरिया (Syria) की नई सरकार (New government) के पक्ष में खड़े लड़ाकों ने देश के बॉर्डर (Border) पर कई गांवों पर हमला (assault) किया, जिसमें दर्जनों लोगों की मौत हो गई है. यह हमला अपदस्थ राष्ट्रपति (President) बशर असद (Bashar al-Assad) के वफादारों द्वारा सरकारी सुरक्षा बलों पर हाल ही में किए गए हमलों के जवाब में किया गया.
कैसे शुरू हुईं हालिया झड़पें?
ब्रिटेन स्थित Syrian Observatory for Human Rights के मुताबिक, लड़ाई शुरू होने के बाद से 200 से ज्यादा लोग मारे गए हैं. गांवों में बदले की भावना से किए गए हमलों में मारे गए करीब 140 लोगों के अलावा, मृतकों में सीरिया के सरकारी बलों के करीब 50 सदस्य और असद के प्रति वफ़ादार 45 लड़ाके शामिल हैं.
मार्च 2011 से सीरिया में चल रहे गृहयुद्ध में पांच लाख से ज्यादा लोग मारे गए हैं और लाखों लोग विस्थापित हुए हैं. ब्रिटेन स्थित सीरियन ऑब्ज़र्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स के मुताबिक, सबसे हालिया झड़पें तब शुरू हुईं जब सरकारी बलों ने गुरुवार को तटीय शहर जबलेह के पास एक वॉन्टेड शख्स को हिरासत में लेने की कोशिश की और असद के वफ़ादारों ने उन पर घात लगाकर हमला कर दिया.
महिलाओं-बच्चों के भी मरने की आशंका
ऑब्जर्व करने वाली एजेंसी के मुताबिक, गुरुवार और शुक्रवार को नई सरकार के प्रति वफादार बंदूकधारियों ने बॉर्डर के पास शीर, मुख्तारियाह और हफ्फाह गांवों पर हमला किया, जिसमें 69 पुरुषों की मौत हो गई, लेकिन किसी महिला को कोई नुकसान नहीं पहुंचा. Syrian Observatory for Human Rights के प्रमुख रामी अब्दुर्रहमान ने कहा, “उन्होंने हर उस आदमी को मार डाला, जिससे उनका सामना हुआ.”
बेरूत स्थित Al-Mayadeen TV ने भी तीन गांवों पर हुए हमलों की खबर दी, जिसमें कहा गया कि अकेले मुख्तारियाह गांव में 30 से ज्यादा पुरुष मारे गए. ऑबजर्वेट्री ने कहा कि बनियास शहर में 60 अन्य लोग मारे गए, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं.
सीरियाई अधिकारियों ने मृतकों की संख्या प्रकाशित नहीं की, लेकिन सीरिया की सरकारी समाचार एजेंसी SANA ने एक अज्ञात सुरक्षा अधिकारी के हवाले से कहा कि सरकारी सुरक्षा बलों पर हाल ही में हुए हमलों का बदला लेने के लिए कई लोग तट पर गए थे. अधिकारी ने कहा कि इन कार्रवाइयों के कारण “कुछ व्यक्तिगत उल्लंघन हुए और हम उन्हें रोकने के लिए काम कर रहे हैं.”
अंतरिम राष्ट्रपति अहमद अल-शरा ने एक वीडियो बयान में पूर्व सरकार से जुड़े सशस्त्र समूहों से अपने हथियार सौंपने और नई सरकार के प्रति वफादार लोगों से नागरिकों पर हमला करने या कैदियों के साथ दुर्व्यवहार करने से बचने का आह्वान किया.
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