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मां-बेटे ने किया तगड़ा कांड, बेच डाली भारतीय हवाई पट्टी की जमीन, ऐसे हुआ खुलासा

July 01, 2025

नई दिल्‍ली । पंजाब में पुलिस(Police in Punjab) ने एक महिला और एक युवक के खिलाफ भारतीय वायुसेना(Indian Air Force) की हवाई पट्टी(Airstrip) बेचने के आरोप में मामला दर्ज(case registered) किया है। दोनों रिश्ते में मां-बेटे हैं। खास बात है कि यह सौदा साल 1997 में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर हुआ था और 28 सालों के बाद दोनों का नाम पुलिस रिकॉर्ड में दर्ज हो सका। पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय की तरफ से इस जमीन के सौदे के जांच के आदेश दिए गए थे।

ऊषा अंसल और उसके बेटे नवीन चंद के खिलाफ FIR दर्ज हो गई है। आरोप हैं कि दोनों ने1997 में पंजाब के फिरोजपुर में भारतीय वायुसेना की हवाई पट्टी फर्जी दस्तावेजों की मदद से बेच दी। खबर है कि दोनों ने राजस्व विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से कांड को अंजाम दिया था। द्वितीय विश्व युद्ध के समय की हवाई पट्टी का इस्तेमाल वायुसेना ने 1962, 1965 और 1971 में किया था।


कैसे खुले राज

हाईकोर्ट ने पंजाब विजिलेंस ब्यूरो के मुख्य निदेशक को आरोपों की जांच का जिम्मा सौंपा था, जिसकी रिपोर्ट 20 जून को दाखिल की गई। बाद में FIR दर्ज हुई। मामले की जांच डीएसपी करण शर्मा कर रहे हैं और वह इस लंबे कांड में शामिल लोगों की पहचान में लगे हुए हैं। यह हवाई पट्टी पाकिस्तान की सीमा के करीब फट्टुवाला गांव में है। फिलहाल, यह जमीन रक्षा मंत्रालय के नियंत्रण में है।
जांच में क्या मिला

विजिलेंस ब्यूरो की जांच में पता चला है कि जमीन भारतीय वायुसेना की थी। 12 मार्च 1945 में ब्रिटिश प्रशासन ने द्वितीय विश्व युद्ध के लिए खरीदा था और बाद में यह भारतीय वायुसेना के नियंत्रण में रही। जांच में यह भी पता चला है कि ऊशा और नवीन ने धोखाधड़ी कर जमीन का मालिकाना हक हासिल किया था और बाद में इसे बेच दिया था।

ऐसे शुरू हुई कहानी

रिटायर्ड राजस्व अधिकारी निशान सिंह की तरफ से शिकायत दर्ज की गई थी, लेकिन इसपर सालों कोई कार्रवाई नहीं हुई। साल 2021 में हलवारा एयर फोर्स स्टेशन ने फिरोजपुर उपायुक्त से जांच की मांग की, लेकिन तब भी कोई नतीजा नहीं निकला। इसके बाद सिंह ने हाईकोर्ट का रुख किया। उनके वकील ने कोर्ट को बताया कि जमीन के असली मालिक मदन मोहन लाल की 1991 में मौत हो गई थी।

इसके बाद सेल डीड 1997 में फाइनल हुई, जिसमें सुरजीत कौर, मनजीत कौर, मुख्तियार सिंह, जागीर सिंह, दारा सिंह, रमेश कांत और राकेश कांत का नाम था। खास बात है कि सेना ने कभी भी जमीन इन्हें ट्रांसफर नहीं की थी। हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय सुरक्षा पर संभावित खतरे की बात कही और फिरोजपुर उपायुक्त को फटकार लगाई। फिलहाल, जांच पूरी करने के लिए 4 सप्ताह का समय दिया गया है।

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