
डेस्क: केरल हाईकोर्ट ने अपनी ही मां पर चाकू से हमला करने वाले 25 वर्षीय युवक सिमेल को जमानत दे दी है. यह फैसला तब आया जब उसकी मां ने अदालत में बयान दिया कि वह अपने बेटे को जेल में नहीं देख सकती. अदालत ने इस मामले में संवेदनशील रुख अपनाते हुए मां के बयान को अहम माना और आरोपी को राहत दी.
इस मामले में फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति पी.वी. कुन्हीकृष्णन ने कहा कि यह एक दुखी मां के आंसुओं से भरे शब्द थे. उन्होंने कहा कि हो सकता है, मां ने अपने न भरने वाले घावों का दर्द भी भूलकर बेटे को माफ कर दिया हो. उन्होंने मां के प्यार की तुलना एक गुलाब से की और कहा कि यह हमेशा खिलता रहता है, चाहे हालात कितने भी बुरे क्यों न हों.
यह घटना नए साल के जश्न के दौरान हुई थी. सिमेल ने अपनी मां से पैसे मांगे थे, लेकिन जब मां ने पैसे देने से इनकार कर दिया तो वह गुस्से में आ गया. गुस्से में उसने चाकू उठाया और अपनी मां पर हमला कर दिया. मां के सिर, चेहरे और हाथ पर 12 गहरे घाव आए. यह मामला सामने आते ही पुलिस ने आरोपी बेटे को गिरफ्तार कर लिया और उसके खिलाफ हत्या के प्रयास समेत कई गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया गया.
जब सिमेल को गिरफ्तार किया गया था, तब उसने अदालत में जमानत की अर्जी दी थी, लेकिन कोर्ट ने यह कहते हुए उसे खारिज कर दिया कि आरोपी को तभी जमानत मिल सकती है, जब उसकी मां यह कहे कि उसे कोई शिकायत नहीं है. कुछ समय बाद मां ने अदालत में हलफनामा दायर कर कहा कि उसे कोई शिकायत नहीं है और वह अपने बेटे को जेल में नहीं देख सकती. मां के इस बयान ने अदालत का रुख बदल दिया और सिमेल को जमानत मिल गई.
हालांकि, अदालत ने यह भी साफ किया कि यदि भविष्य में मां अपने बेटे के खिलाफ कोई शिकायत दर्ज कराती है या किसी तरह का कानूनी कदम उठाती है, तो सिमेल की जमानत रद्द कर दी जाएगी. यानी, अगर आरोपी भविष्य में कोई गड़बड़ी करता है या मां के खिलाफ दोबारा हिंसा करता है, तो उसे फिर से जेल भेज दिया जाएगा.
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