
ग्वालियर। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की आदर्श गौशाला (Model cow shelter) मानी जाने वाली ग्वालियर (Gwalior) की मशहूर लाल टिपारा गौशाला (Lal Tipara Gaushala) से एक दिल दहला देने वाली खबर सामने आई है। गौशाला में अचानक 15 गायों की मौत हो गई और सबसे शर्मनाक बात यह रही कि गौशाला का स्टाफ इन मौतों को छिपाने की कोशिश करता रहा। मरी हुई गायों के शरीर एक-दूसरे के ऊपर ऐसे फेंके गए थे जैसे वे कोई बेजान कूड़ा हों।
नगर निगम इस गौशाला पर हर साल 25 करोड़ रुपये खर्च करने का दावा करता है। इस गौशाला में 10 हजार से ज्यादा गायें रखी गई हैं। दावे यह भी हैं कि यहां डॉक्टर भी तैनात हैं, लेकिन बीमार गायों की मौत सिस्टम पर सवाल खड़े कर रही है। इस पूरे मामले का खुलासा तब हुआ जब मेडिकल ऑफिसर आशुतोष आर्या एक घायल गाय को ठीक करने के बाद वहां छोड़ने पहुंचे।
उन्होंने बताया कि जिस गाय का उन्होंने 15 दिन तक अपने खर्चे पर इलाज किया था, उसे वहां मरते देखा और साथ ही टिनशेड में 15 अन्य गायों की लाशें भी ढेर की तरह पड़ी मिलीं। जब उन्होंने स्टाफ से पूछा, तो कोई सही जवाब नहीं मिला। यह भी कहा गया कि शायद गायें आपस में टकराकर मर गई होंगी। इस मामले में कलेक्टर से भी शिकायत की गई है।
वहीं नगर निगम कमिश्नर संघ प्रिय का कहना है कि गौशाला में गायों के मरने की जानकारी मिली है। मामले की जांच कराई जाएगी। फिलहाल गौशाला के बीमार सेक्शन में 400 से 500 के करीब गायें भर्ती हैं, जिनमें से 60 की हालत बेहद नाजुक है। इनका इलाज किया जा रहा है। मामला बढ़ने पर ग्वालियर की कलेक्टर रुचिका चौहान ने खुद गौशाला का दौरा किया।
कलेक्टर रुचिका चौहान ने गौशाला के रजिस्टर चेक किए। उन्होंने बीमार और मृत गायों के रिकॉर्ड की बारीकी से जांच की। कलेक्टर ने इलाज के बाद स्वस्थ होकर छोड़ी गई गायों का रिकॉर्ड भी तलब किया। साथ ही मृत गायों के निपटान की व्यवस्था से संबंधित दस्तावेज देखे और अधिकारियों से जानकारी ली। इतनी रकम खर्च होने के बावजूद गायों की ऐसी हालत से इंतजामों पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
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