
नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) की चीन यात्रा (China trip) के बाद हैदराबाद सांसद असदुद्दीन ओवैसी (Hyderabad MP Asaduddin Owaisi) ने तीखे सवाल किए हैं। उन्होंने कहा कि क्या हम जिन पेट्रोलिंग प्वाइंट्स पर नहीं जा पा रहे थे क्या हम वहां जा सकते हैं? बीजिंग खुलेआम वन इंडिया पॉलिसी को नहीं मानता है, तो फिर हम वन चाइना पॉलिसी को क्यों मानते हैं। सरकार को इस पर जवाब देना चाहिए।
मीडिया से बात करते हुए हैदराबाद सांसद ने कहा, “मैं सरकार से पूछना चाहता हूं कि हम 65 में से 25 पेट्रोलिंग प्वाइंट्स पर क्या हम जा पा रहे हैं। क्या हमारी जिस जमीन पर बफर जोन बना दिया… क्या हम वहां जा सकते हैं या नहीं जा सकते? सरकार बता दे क्या चीन के साथ जो हमारा व्यापारिक घाटा है वह घटेगा या फिर बढ़ता ही जाएगा।”
इतना ही नहीं ओवैसी से जोर देकर कहा कि सरकार हमें बताए कि क्या चीन वन इंडिया पॉलिसी को मानता है? अगर वह नहीं मानता तो फिर हम वन चाइना पॉलिसी का सम्मान क्यों करते हैं?
गौरतलब है कि पीएम मोदी की चीन यात्रा के दौरान भारत ने एक बार फिर से वन चाइना पॉलिसी को लेकर अपनी प्रतिबद्धता जताई थी। वन चाइना पॉलिसी के तहत चीन ताइवान को भी अपना ही हिस्सा मानता है। इसी वन चाइना पॉलिसी के कारण भारत और ताइवान के बीच में आधिकारिक संबंध नहीं है। यहां तक की ताइवान को सुरक्षा देने का वादा करने वाला अमेरिका भी चीन की वन चाइना पॉलिसी को मानता है।
अपनी व्यापारिक धमक और ताकत के दम पर चीन ने पिछले दशकों में अन्य देशों को भी वन चाइना पॉलिसी को मानने के लिए राजी कर लिया है। जहां तक वन इंडिया पॉलिसी की बात है तो भारत के लद्धाख वाले इलाके पर चीन खुद ही कब्जा करके बैठा हुआ है। इतना ही नहीं वह अरुणाचल प्रदेश पर भी अपना दावा ठोकता है। इसके अलावा वह कश्मीर को भी भारत का अभिन्न हिस्सा नहीं मानता है। इसी वजह से उसने पाकिस्तान के होकर जाने वाले अपने सीपैक कॉरिडोर को पाकिस्तान अधिकृत भारतीय कश्मीर से निकालने में भी कोई गुरेज नहीं किया।
चीन यात्रा के दौरान पीएम मोदी ने सीपैक का सीधा नाम न लेते हुए कहा था कि ऐसी परिजोनाओं से दोनों देशों के बीच में जो विश्वास पैदा हो रहा है, उस पर चोट लगती है।
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