
इंदौर. बीजेपी के वरिष्ठ नेता भंवर सिंह शेखावत (Bhanwar Singh Shekhawat) ने अपनी सरकार को घेर रहे हैं. धार के कारम डैम मामले में भ्रष्टाचार(Corruption) के आरोप लगाते हुए उन्होंने राज्य के जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट और उद्योग मंत्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव (Industries Minister Rajvardhan Singh Dattigaon) को हटाने की मांग की है. भंवर सिंह शेखावत धार जिले के बदनावर से एक बार बीजेपी के टिकट पर विधायक रहे हैं. वहीं इंदौर की 5 नंबर विधानसभा क्षेत्र (Assembly Area) से दो बार विधायक चुने गए. वे बीजेपी के सीनियर लीडर हैं.
उनका कहना है कि भ्रष्टाचार की भेंट चढ़े कारम बांध की निष्पक्ष रूप से जांच की जानी चाहिए. आखिरकार 304 करोड़ की परियोजना कारम बांध भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया और 3 दिनों के प्रयास के बाद भी बांध को नहीं बचाया जा सका. 14 अगस्त की शाम को बांध से अचानक तेजी से पानी निकलने लगा. इसमें कारम नदी (karam river) ने रौद्र रूप ले लिया और करीब 12 गांव के खेत और मकानों में भारी नुकसान पहुंचा. इन सभी प्रभावितों को आज तक मुआवजा नहीं मिला. क्षेत्रीय किसान आज मुआवजे को लेकर कलेक्टर कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं और प्रदेश के दो मंत्री तुलसीराम सिलावट और राजवर्धन सिंह दत्तीगांव मुख्यमंत्री के सामने पहुंचकर जेसीबी चालकों को सम्मानित कर अपनी पीठ थपथपा रहे हैं.
कांग्रेस को मिला मौका
वहीं राज्य की मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस को भी भंवर सिंह शेखावत के बयान के बाद बीजेपी को घेरने का मौका मिल गया है. वो भी शेखावत के सुर में सुर मिला रही है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा का कहना है कि भंवर सिंह शेखावत को हम धन्यवाद देते हैं कि मुखर होकर उन्होंने अपनी बात कही. क्योंकि पूरी भाजपा पर भ्रष्टाचार का कलंक लग रहा है. अब बीजेपी के निष्ठावान नेता ही कह रहे हैं कि मध्यप्रदेश भ्रष्टाचार का अड्डा बन गया है, ऐसे में दोनों ही मंत्रियों को हटा देना चाहिए.उधर, बीजेपी नेता भंवर सिंह शेखावत के मुखर होने पर बीजेपी बैकफुट पर नजर आ रही है.
प्रदेश महामंत्री ने भी दी प्रतिक्रिया
इंदौर संभाग के प्रभारी और प्रदेश महामंत्री भगवान दास सबनानी का कहना है कि शेखावत पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं. उनको अपनी बात पार्टी फोरम पर रखनी चाहिए ना कि मीडिया में बयानबाजी करके सरकार की छवि को धूमिल करने का प्रयास करना चाहिए. पार्टी इस मामले पर गंभीरता से विचार कर रही है. बहरहाल,अपने सियासी लाभ के लिए कांग्रेस 2023 तक कारम डैम का मामला जीवित रखना चाहती है. इसलिए वो लगातार इस मामले को लेकर सरकार को घेर रही है, वहीं अब उसे सत्ताधारी नेताओं का साथ भी मिल गया है ऐसे में ये मुद्दा अब जल्द शांत होता दिखाई नहीं दे रहा है.
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