
इंदौर। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह (Congress leader Digvijay Singh) ने मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में मुसलमानों के खिलाफ हो रहे कथित भेदभाव को लेकर एक बार फिर अपनी आवाज बुलंद की है। उन्होंने 2021 में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट (Madhya Pradesh High Court) की इंदौर बेंच में एक याचिका दायर की थी, जिसमें राज्य सरकार पर कई जिलों में मुसलमानों के साथ दुर्व्यवहार का आरोप लगाया गया था। दिग्विजय सिंह का कहना है कि यह केवल एक याचिका का मामला नहीं, बल्कि देश के संवैधानिक मूल्यों की रक्षा का सवाल है।
मीडिया से बातचीत में दिग्विजय सिंह ने कहा कि आज देश का संविधान खतरे में है। लोगों के मौलिक अधिकारों को छीन लिया जा रहा है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या मुसलमानों को इस देश में जीने का अधिकार है या नहीं? क्या उन्हें संविधान के अनुच्छेद 14 और 25 के तहत मिले समानता और धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार प्राप्त हैं? उन्होंने एक उदाहरण देते हुए कहा, “जब भी दो व्यक्तियों के बीच किसी झगड़े की बात आती है, तो मुसलमान पक्ष को ही निशाना बनाया जाता है। उसे गिरफ्तार कर लिया जाता है और उसका घर बुलडोजर से ध्वस्त कर दिया जाता है। लेकिन यदि दूसरा पक्ष गैर-मुस्लिम होता है, तो उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती। पिछले 22 वर्षों से इस तरह के अनेक उदाहरण सामने आ चुके हैं।”
याचिका पर चार साल की लंबी प्रतीक्षा
दिग्विजय सिंह ने अपनी याचिका के लंबित रहने पर चिंता जताई। उन्होंने बताया कि 2021 से चार वर्ष बीत जाने के बावजूद इस याचिका पर कोई सुनवाई नहीं हो पाई थी। इसके बाद उन्होंने अदालत से अपनी बात रखने का अनुरोध किया। जस्टिस शुक्ला और जस्टिस द्विवेदी ने उन्हें यह अवसर प्रदान किया, जिसके लिए उन्होंने दोनों जजों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने अदालत में अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए कहा, “इस देश और संविधान को बचाने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाने चाहिए।”
समाधान के लिए सुझाव और मांगें
दिग्विजय सिंह ने याचिका में एक अंतरिम आवेदन भी दायर किया है, जिसमें मामले को आगे बढ़ाने और स्थिति स्पष्ट करने के लिए एक स्टेटस रिपोर्ट प्रस्तुत करने की मांग की गई है। उन्होंने प्रस्ताव दिया कि इस मामले की निष्पक्ष जांच के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया जाए। इस समिति में गृह विभाग के प्रधान सचिव और पुलिस महानिदेशक भी शामिल हों।
उनका कहना है कि इस समिति के समक्ष याचिकाकर्ता या अन्य प्रभावित व्यक्ति अपनी शिकायतें दर्ज करा सकें और समिति कोर्ट को कार्रवाई की स्थिति के बारे में विस्तृत रिपोर्ट सौंपे। दिग्विजय सिंह ने यह भी सवाल उठाया कि क्या मध्य प्रदेश सरकार संविधान के दायरे में कार्य करेगी या सरकारी अधिकारी केवल सत्ताधारी दल के कार्यकर्ताओं की तरह व्यवहार करेंगे।
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