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मप्र स्थापना दिवस विशेष : 70 वर्षों में मध्यप्रदेश ने लगाई विकास की छलांग, आबादी पौने तीन गुना बढ़ी

November 01, 2025

भोपाल. राज्य पुनर्गठन आयोग की सिफारिशों के आधार पर मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) का जन्म हुआ था। जनसंख्या, कृषि, उद्योग आदि विकास के मापदंडों की समीक्षा के बाद 1956 में इस नए राज्य का गठन किया गया था। निर्माण के बाद लगातार प्रदेश प्रगति (Progress) के पथ पर अग्रसर है। वर्ष 2000 में छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) मध्य प्रदेश से अलग होकर नया राज्य बनाना गया। इसके बाद भी मध्य प्रदेश क्षेत्रफल की दृष्टि से देश का दूसरा बड़ा राज्य है। एक नवंबर को मध्य प्रदेश अपनी स्थापना का 70वां वर्ष मना रहा है। पांच वर्ष बाद यह अपने जन्म की 75वीं जयंती यानि हीरक जयंती मनाएगा। 70वें स्थापना दिवस पर प्रदेश के विकास का आकलन करें तो पाते हैं राज्य की प्रति व्यक्ति आय में 584 गुना बढ़ोतरी हुई तो आबादी में 2.78 गुना बढ़ोतरी हुई है।

राज्य पुनर्गठन आयोग और मध्य प्रदेश
आजादी के बाद 29 दिसंबर 1953 को भारत के राज्यों के पुनर्गठन के लिए जस्टिस सैयद फैसल अली की अध्यक्षता और हृदयनाथ कुंजरू, वल्लभ माधव पणिकर की सदस्यता में एक आयोग गठित हुआ था। इस आयोग ने 30 सितंबर 1955 को अपनी सिफारिश केंद्र सरकार को प्रस्तुत की थी। राज्य पुनर्गठन आयोग की सिफारिश द्वारा की गई अनुशंसाओं को अमल में लाने के लिए लोकसभा में 18 अप्रैल 1956 को संविधान में नवम संशोधन विधेयक पेश हुआ और अक्तूबर में राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद 1 नवंबर 1956 को यह पूर्ण रूप से अधिनियम बना। आयोग की सिफारिशों के आधार पर सेंट्रल प्रोविजंस एंड बरार में शामिल मराठी भाषी जिले महाराष्ट्र में शामिल हो गए और 43 जिलों के साथ नए मध्य प्रदेश का गठन किया गया।


क्या कहा था नए प्रदेश के गठन के वक्त
राज्य पुनर्गठन आयोग ने अपने प्रतिवेदन में नए मध्य प्रदेश के संबंध में तर्क दिया था कि यह बहुत ही समृद्ध कृषि वाला राज्य होगा, क्योंकि यहां गेहूं, चावल पैदा करने वाला संपूर्ण क्षेत्र इसमें शामिल है। हालांकि, वर्ष 2000 में चावल का कटोरा कहलाने वाला क्षेत्र छत्तीसगढ़ एक अलग राज्य के रूप में गठित हो गया।

पं. रविशंकर शुक्ल थे पहले सीएम
1956 की 31 अक्तूबर और 1 नवंबर की मध्य रात्रि को नए मध्य प्रदेश का गठन हुआ तब प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री पंडित रविशंकर शुक्ल ने अपने संदेश में नए मध्य प्रदेश को राष्ट्र के लिए शक्ति का अविरल स्त्रोत बताते हुए कहा था कि ‘ऊपर लहलहाते खेत और नीचे भूमि रत्नगर्भा है’। वहीं, उनके बाद सीएम बने कैलाशनाथ काटजू ने कहा था प्रकृति ने इस भू-भाग के निवासियों को पुरस्कृत करने में अत्यंत उदारता से काम लिया है।

मप्र शक्ति का अविरल स्रोत बना
आज प्रदेश की स्थापना के 70 वर्ष पूर्ण होने के बाद यह आकलन किया जाए कि क्या मध्य प्रदेश राष्ट्र के लिए शक्ति का अविरल स्रोत बन सका? क्या प्रकृति की अत्यंत उदारता प्रदेश के निवासियों को पुरस्कृत कर सकी? प्रदेश ने आर्थिक विकास की रफ्तार और प्रगति की राह को चुना और प्रगति के नए सोपान तय किए हैं।

प्रति व्यक्ति आय 261 रुपये से बढ़कर 1.52 लाख हुई
मध्य प्रदेश ने बीते 70 वर्षों में कितनी प्रगति की है, इसकी झलक प्रदेश के नागरिकों की प्रति व्यक्ति आय से मिलती है। 1956 में मध्य प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय 261 रुपये थी, जो वर्तमान में 1.52 लाख रुपये है। राज्य की प्रगति के साथ प्रदेश के नागरिकों के जीवन स्तर में भी वृद्धि हुई है।

तीसरा सबसे ज्यादा गेहूं उत्पादक राज्य
कृषि के क्षेत्र में प्रदेश ने कई कीर्तिमान स्थापित किए हैं, देश के किसी भी राज्य को लगातार सात बार कृषि कर्मण पुरस्कार प्राप्त नहीं हुए यह खिताब मध्य प्रदेश ने हासिल किया है। गेहूं की पैदावार में मध्य प्रदेश देश के शीर्ष तीन राज्यों में शामिल है। दलहन उत्पादन में देश में प्रथम स्थान पर है। कपास उत्पादन में देश में प्रदेश का पांचवा स्थान है। जाहिर है कृषि क्षेत्र में प्रदेश ने काफी उन्नति की है।

सवा सात करोड़ लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं
प्रदेश में उप स्वास्थ्य केंद्र, प्राथमिक एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मिलाकर 3,08,252 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इसमें से 93,000 वर्ग किलोमीटर इलाका जनजाति क्षेत्र में है। ग्रामीण क्षेत्र 309505.59 वर्ग किलोमीटर है, शहरी क्षेत्र में 7746 वर्ग किलोमीटर है, इस प्रकार 97.49 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार है। इस तरह प्रदेश की 7.26 करोड़ जनसंख्या तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंच रही हैं।

बजट बढ़कर कई गुना हुआ
वर्ष 2000-2001 राज्य का बजट 1,06,393 करोड़ रुपये का था, जो वर्ष 2024-25 में 3,26,383 करोड़ रुपये का अनुमानित है। राज्य में वर्तमान में 8586 शाखाओं के माध्यम से बैंकिंग सेवाएं प्रदान की जा रही है। जो 33 प्रतिशत ग्रामीण और 67 प्रतिशत नगरीय क्षेत्रों में है। इसके अतिरिक्त 38 जिला सहकारी बैंक 4536 प्राथमिक कृषि ऋण समिति भी कार्यरत है।

निवेश के नए द्वार खुले
उद्योग, परिवहन, शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यटन जैसे कई क्षेत्र में मध्य प्रदेश ने प्रगति की है। प्रदेश में निवेश के नए द्वार खोले हैं और नई सुविधाएं मुहैया करवाने की घोषणाए की हैं। प्रदेश में रोजगार पर्याप्त उपलब्ध करवाया जा रहा है। प्रदेश के युवकों को रोजगार मिले इसके लिए प्रदेश में औद्योगिक क्षेत्रों का विकास किया गया, प्रदेश में निवेश के लिए इंवेस्टर समिट का लगातार आयोजन किया जा रहा है। इससे उद्योगों को उचित सुविधा देकर प्रदेश में आमंत्रित किया जा रहा है। परिवहन के क्षेत्र में प्रदेश ने नए आयाम स्थापित किए हैं।

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