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MP: प्रमोशन में आरक्षण की नई नीति पर HC ने लगाई रोक, एक सप्ताह में सरकार से मांगा जवाब

July 08, 2025

जबलपुर। मध्य प्रदेश (मध्य प्रदेश ) में सरकारी कर्मचारियों (Government employees) की उम्मीदों को झटका लगा है। पदोन्नति में लागू की गई नई आरक्षण नीति (New reservation policy) पर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट (Madhya Pradesh High Court) की जबलपुर बेंच ने अंतरिम रोक लगा दी है। कोर्ट ने सरकार को एक सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश देते हुए अगली सुनवाई 15 जुलाई को तय की है।

गौरतलब है कि राज्य सरकार ने जून 2025 में नई प्रमोशन नीति लागू की थी, जिसमें आरक्षण का प्रावधान जोड़ा गया था। इस नई नीति को सपाक्स संघ ने तीन अलग-अलग याचिकाओं के जरिए हाई कोर्ट में चुनौती दी है।


सोमवार को पदोन्नति के नए नियमों को लेकर सुनवाई हुई। कोर्ट ने सरकार से पूछा कि 2002 के पुराने नियम और 2025 के नए नियम में क्या फर्क है? राज्य सरकार की तरफ से एडवोकेट जनरल पेश हुए, लेकिन वे यह स्पष्ट नहीं कर सके कि दोनों नियमों में असली फर्क क्या है। उन्होंने कहा कि अभी यह पूरी तरह स्पष्ट नहीं है।

इस पर एक्टिंग चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की डिवीजन बेंच ने कहा कि जब तक इस मामले में हाई कोर्ट कोई अंतिम फैसला नहीं देता, तब तक सरकार नए नियमों के आधार पर कोई भी पदोन्नति या संबंधित कार्रवाई नहीं करे। ऐसी स्थिति में नए नियमों को लागू नहीं किया जा सकता। अब अगली सुनवाई 15 जुलाई को होगी। तब तक सरकार नियमों का अंतर समझकर कोर्ट को बताए।

सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस और जजों की बेंच ने सरकार से यह भी सवाल किया कि जब पदोन्नति का मामला पहले से सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, तो फिर सरकार ने नए नियम क्यों बनाए? क्या पहले सुप्रीम कोर्ट से पुराना मामला वापस नहीं लेना चाहिए था?

बता दें कि राज्य में 2016 से सरकारी कर्मचारियों की पदोन्नति (प्रमोशन) रुकी हुई थी। इसकी वजह यह थी कि आरक्षण में प्रमोशन को लेकर मामला सुप्रीम कोर्ट में था। सरकार ने वहां विशेष अनुमति याचिका दाखिल की थी, जिससे प्रमोशन नहीं हो पा रहा था।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह निर्णय न सिर्फ प्रशासनिक ढांचे को प्रभावित करेगा, बल्कि सामाजिक न्याय की बहस को भी एक बार फिर केंद्र में ला देगा। वहीं, कर्मचारी संगठन इसे ‘नीतिगत अस्थिरता’ करार दे रहे हैं और सरकार पर राजनीतिक लाभ के लिए आरक्षण नीति के दुरुपयोग का आरोप लगा रहे हैं।

संघ की ओर से अधिवक्ता सुयश मोहन गुरु ने हाई कोर्ट में दलील दी थी कि यह मामला फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, इसलिए सरकार नए नियमों के तहत प्रमोशन में आरक्षण नहीं दे सकती। यह नीति संविधान के खिलाफ है। उनका कहना है कि पहले हाई कोर्ट इस पर रोक लगाने को तैयार था, लेकिन एडवोकेट जनरल की ओर से दी गई अंडरटेकिंग में कहा गया कि सरकार फिलहाल नए नियमों के तहत प्रमोशन में आरक्षण लागू नहीं करेगी। इसके लिए उन्हें थोड़ा समय दिया जाए।

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