
खरगोन। मध्य प्रदेश सरकार (Madhya Pradesh Government) की कैबिनेट बैठक (Cabinet meeting) होलकर राजवंश की महारानी लोकमाता अहिल्याबाई (Queen Lokmata Ahilyabai of Holkar dynasty) को श्रद्धांजलि देने के लिए 24 जनवरी को खरगोन जिले के महेश्वर (Maheshwar) में होगी. नर्मदा नदी के तट पर स्थित महेश्वर भोपाल से करीब 290 किलोमीटर दूर है और अपने किलों के लिए जाना जाता है।
CM मोहन यादव ने बताया कि वर्ष 2025 मालवा की महारानी पुण्यश्लोका अहिल्या देवी का 300वां जयंती वर्ष है. हमारी सरकार ने देवी अहिल्या माता की 300वीं जयंती मनाने का निर्णय लिया है. इस उपलक्ष्य में हम पूरे वर्ष अलग-अलग कार्यक्रम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि मंत्रि-परिषद की अगली बैठक मालवा की महारानी लोकमाता अहिल्या देवी को समर्पित की जाएगी. मंत्रि-परिषद की बैठक 24 जनवरी को लोकमाता की राजधानी रही धार्मिक नगरी महेश्वर में होगी.
मुख्यमंत्री यादव ने कहा कि लोकमाता अहिल्या देवी का जीवन धार्मिकता, त्याग और करुणा का प्रतीक था. वे न केवल एक कुशल शासिका थीं, बल्कि एक आदर्श नारी और माता भी थीं. लोकमाता अहिल्या देवी के शासनकाल, उनकी कर्तव्यपरायणता, धर्म परायणता, सुशासन, दानशीलता, धार्मिकता आदि गुणों से हमें सद्मार्ग और सुशासन के जरिए लोक-कल्याण की असीम ऊर्जा और प्रेरणा मिलती है. उनके व्यक्तित्व की आभा से पूरा समाज आज भी उन्हें अत्यंत श्रद्धा से देखता है।
सीएम की ओर से जारी एक संदेश में कहा गया कि मध्यप्रदेश की पावन धरा वह स्थान है, जहां रानी दुर्गावती, लोकमाता अहिल्या देवी, सम्राट विक्रमादित्य और राजा भोज जैसे प्रतापी और सुशासन लाने वाले शासक हुए हैं. इनके नाम और काम पर मध्यप्रदेश सदैव गौरवान्वित होता आया है. इस संदर्भ में महिला शासिका लोकमाता अहिल्या देवी का नाम भी अजर-अमर है. उनके नाम पर समर्पित मंत्रि-परिषद की बैठक में हम जनकल्याण से जुड़ी कई नवीन योजनाओं को मंजूरी देने जा रहे हैं।
उन्होंने प्रदेश की जनता से अपील की कि हम सब मालवा की लोकमाता अहिल्या देवी के पुण्य स्मरण में शामिल हों. वे स्वयं और सभी मंत्रीगण मिलकर अहिल्या माता को समर्पित मंत्रिपरिषद की बैठक के लिए महेश्वर जाएंगे और यही लोकमाता को, उनके सद्कार्यों को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
लोकमाता अहिल्या देवी का जीवन परिचय
लोकमाता देवी अहिल्याबाई भारत के इतिहास में एक महान शासिका, समाज सुधारक और धर्मपरायण नेत्री के रूप में प्रसिद्ध हैं. उनका जीवन त्याग, नारी सशक्तिकरण, धर्म और न्याय के आदर्शों से प्रेरित है. देवी अहिल्याबाई का जन्म 31 मई 1725 को महाराष्ट्र राज्य के अहमदनगर जिले के चौंडी गांव में एक साधारण मराठा पाटिल परिवार में हुआ था. उनके पिता का नाम मनकोजी शिंदे था. उनका विवाह 1733 में खंडेराव होल्कर से हुआ, जो मालवा के शासक मल्हारराव होल्कर के पुत्र थे. वर्ष 1754 में श्री खंडेराव होल्कर की मृत्यु के बाद, अहिल्याबाई ने अपने जीवन को राज्य और प्रजा की सेवा के लिए समर्पित कर दिया।
मल्हारराव होल्कर की मृत्यु (1766) के बाद अहिल्याबाई ने इंदौर की गद्दी संभाली. उनका शासनकाल (1767-1795) न्यायप्रियता, कुशल प्रशासन, और समाज कल्याण के लिए जाना जाता है. देवी अहिल्याबाई ने महिलाओं की स्थिति सुधारने के लिए काम किया. उन्होंने शिक्षा और धर्म के माध्यम से समाज में एकता और सामंजस्य बढ़ाया. देवी अहिल्याबाई ने कुशल प्रशासन से अपने राज्य को एक सुव्यवस्थित और समृद्ध क्षेत्र बनाया था।
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