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MP: अवैध कॉलोनियों पर मोहन सरकार सुस्त, 5000 से ज्यादा शिकायतें; सिर्फ 12% में ही FIR

October 12, 2024

भोपाल। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में अवैध कॉलोनियों (Illegal Colonies) की संख्या तेजी से बढ़ रही है, जिससे शहरी विकास (Urban Development) और पर्यावरण दोनों को गंभीर नुकसान हो रहा है। सरकारी आंकड़ों (Government Data) के मुताबिक, प्रदेश में 8,000 से अधिक अवैध कॉलोनियां हैं, जिनमें से 3,200 से ज्यादा सिर्फ 16 नगर निगमों (Nagar Nigam) के अंतर्गत आती हैं। इस अलार्मिंग स्थिति के बावजूद, अवैध कॉलोनाइजरों के खिलाफ कार्रवाई की गति बेहद धीमी है। पुलिस को 5,000 से अधिक शिकायतें मिलीं, लेकिन इनमें से केवल 605 मामलों में ही एफआईआर दर्ज हो पाई, जो कुल शिकायतों का सिर्फ 12% है। इससे अवैध कॉलोनाइजरों के हौंसले और बढ़ते नजर आ रहे हैं।

पिछले वर्ष विधानसभा में अवैध कॉलोनियों का मुद्दा प्रमुखता से उठा था, जिसके बाद नगरीय प्रशासन विभाग के मंत्री कैलाश विजयवर्गीय (Kailash Vijayvargiya) ने अवैध कॉलोनियों पर सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए थे। हालांकि, जमीनी स्तर पर इन निर्देशों का पालन नहीं हो रहा है। प्रशासनिक उदासीनता और स्थानीय निकायों के ढुलमुल रवैये के चलते अवैध कॉलोनाइजरों पर प्रभावी कार्रवाई नहीं हो पा रही है।


अवैध कॉलोनियों की समस्या तब और गंभीर हो जाती है, जब यह देखा जाता है कि लगभग एक हजार कॉलोनियां वन भूमि, नाले, और तालाबों के कैचमेंट क्षेत्र में स्थित हैं। इन इलाकों में बुनियादी सुविधाओं की कमी है, जिससे शहरी योजनाओं पर नकारात्मक असर पड़ रहा है। ऐसी बेतरतीब कॉलोनियों से शहर का पर्यावरणीय संतुलन भी बिगड़ रहा है, और इनका निर्माण शहरी ढांचे को अव्यवस्थित कर रहा है।

राजधानी भोपाल में भी अवैध कॉलोनियों का जाल फैलता जा रहा है। एक साल के भीतर 150 से अधिक अवैध कॉलोनियां काटी गईं, जहां भूमाफियाओं ने बिना किसी अनुमति के खेतों में सड़कें बनाकर प्लॉट बेच दिए। भोपाल के आसपास के क्षेत्रों में डायवर्जन और नगर एवं ग्राम निवेश विभाग की अनुमति के बिना यह काम धड़ल्ले से चल रहा है। सस्ते प्लॉट की लालच में लोग इन अवैध कॉलोनाइजरों के जाल में फंस रहे हैं।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने पहले इन कॉलोनियों पर सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए थे। लेकिन अब फिर से प्रशासन की सुस्ती के कारण यह समस्या गंभीर होती जा रही है। जब तक अवैध कॉलोनियों के खिलाफ ठोस और निरंतर कार्रवाई नहीं होती, यह मुद्दा प्रदेश के शहरी विकास के लिए एक बड़ा संकट बना रहेगा।

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