
भोपाल: मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के सरकारी और निजी स्कूलों में अब बच्चों के साथ मारपीट या किसी भी तरह की शारीरिक सजा पर पूरी तरह से प्रतिबंध लग गया है. ऐसा करने पर टीचर्स और अन्य जिम्मेदार कर्मचारियों पर कानूनी कार्रवाई होगी. बाल अधिकार संरक्षण आयोग कि चिट्ठी के बाद स्कूल शिक्षा विभाग (School Education Department) ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश जारी करते हुए कार्रवाई के लिए कहा है.
इसके साथ ही ऐसे मामलों की रिपोर्ट भी देने के लिए कहा गया है. स्कूलों में बच्चों के साथ मारपीट को लेकर लोक शिक्षण संचालनालय के अपर संचालक रवीन्द्र कुमार सिंह की ओर से शारीरिक दंड पर पूर्ण प्रतिबंध और कड़ी कार्रवाई संबंधी निर्देश मंगलवार को जारी किए गए हैं. मध्यप्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने 4 फरवरी को शिक्षा विभाग को पत्र लिखकर इसकी मांग की थी.
आदेश के बाद अब इस मामले में सख्त एक्शन के निर्देश दिए जा रहे हैं. अपर संचालक रवींद्र सिह ने बताया कि मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा अधिनियम 2009 की धारा 17(1) में शारीरिक मानसिक प्रताड़ना और भेदभाव पूरी तरह से प्रतिबंधित हैं. साथ ही धारा 17(2) के तहत ऐसा करना दंडनीय अपराध है. भारतीय दंड संहिता की धारा 323 के तहत शारीरिक दंड भी प्रतिबंधित है.
प्रदेश के सभी जिलो में संचालित सरकारी और निजी स्कूलों में छात्रों को शारीरिक दंड देने की घटनाओं की त्वरित पहचान करन और इस तरह की स्थितियों पर रोक लगाने के लिए उचित कदम उठाए जाएं. सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को ये निर्देश दिए गए हैं कि किसी स्कूल या शिक्षक द्वारा शारीरिक दंड देने के मामले में तत्काल एक्शन लेकर अनुशासनात्मक और कानूनी कार्रवाई की जाए.
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved