
इंदौर। कॉलेज में पढऩे वाले विद्यार्थियों के साथ एमपी ऑनलाइन के कियोस्क संचालकों द्वारा करोड़ों रुपए की धोखाधड़ी किए जाने का मामला सामने आया है। इन विद्यार्थियों द्वारा अपनी फीस की राशि एमपी ऑनलाइन के माध्यम से जमा करवाकर रसीद ले ली गई। यह राशि संबंधित कॉलेज के खाते में नहीं पहुंची। इस मामले का खुलासा होने के बाद अब होलकर साइंस कॉलेज में मामले की जांच के लिए एक कमेटी बना दी गई है।
कलेक्टर आशीष सिंह से होलकर साइंस कॉलेज की प्राचार्य अनामिका जैन ने मुलाकात की। इस दौरान उनके द्वारा एक लिखित शिकायत भी कलेक्टर को दी गई। शिकायत की चर्चा करते हुए उनके द्वारा कलेक्टर को बताया गया कि कॉलेज में अलग-अलग पाठ्यक्रम में अध्ययन करने वाले बहुत से विद्यार्थियों की फीस जमा नहीं है। यह स्थिति देखने के बाद जब हमने कॉलेज में ऐसे विद्यार्थियों को रोकना-टोकना शुरू किया तो विद्यार्थियों द्वारा फीस जमा किए जाने की रसीद लाकर प्रस्तुत की गई। इन विद्यार्थियों ने एमपी ऑनलाइन पर जाकर कॉलेज की फीस जमा करवा दी थी। एमपी ऑनलाइन के संचालकों द्वारा फीस जमा करने के लिए इन विद्यार्थियों से नकद में राशि ले ली गई। फिर इन विद्यार्थियों को फीस जमा होने की रसीद भी दे दी गई। रसीद पाने के बाद विद्यार्थी निश्चित हैं कि उनके द्वारा फीस जमा कर दी गई है, जबकि हकीकत यह है कि इन विद्यार्थियों की फीस ही जमा नहीं हुई है। ऐसी स्थिति केवल होलकर साइंस कॉलेज में ही नहीं है, बल्कि शासकीय लॉ कॉलेज सहित भंवरकुआं क्षेत्र के बहुत सारे कॉलेजों में यह स्थिति बन रही है।
कलेक्टर ने इस पूरे मामले को बहुत गंभीर बताते हुए कहा कि इस मामले में सारे तथ्य इक_ा किए जाएं और संबंधित दोषी व्यक्तियों के खिलाफ आपराधिक प्रकरण पुलिस थाने में दर्ज कराया जाए। इस चर्चा के बाद होलकर कॉलेज की प्राचार्य द्वारा अपने कॉलेज में एक जांच कमेटी का गठन किया गया है। यह कमेटी विद्यार्थियों से यह जानकारी हासिल करेगी कि कितने विद्यार्थी इस तरह की धोखाधड़ी के शिकार हुए हैं और धोखा देने वाला व्यक्ति कौन है।
15 बच्चों को पुलिस ने दिलवाए पैसे वापस
उन्होंने बताया कि बायोटेक्नोलॉजी के चौथे सेमेस्टर के 15 बच्चों को पुलिस भंवरकुआं द्वारा पैसे वापस दिलवाए गए हैं। इस घटनाक्रम की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि इन बच्चों में से प्रत्येक की फीस 17000 रुपए है। बच्चों से यह राशि उनकी ही कक्षा में पढऩे वाले उनके एक सहपाठी ने ले ली थी। उसका कहना था कि मेरे मामा का एमपी ऑनलाइन का कामकाज है तो मैं वहां से सबकी फीस जमा करवा दूंगा। उसके द्वारा सभी विद्यार्थियों को रसीद भी लाकर दे दी गई थी। हाल ही में यह हकीकत सामने आई कि इन बच्चों के भी पैसे जमा नहीं थे। अब इस मामले में तो इन बच्चों का सहपाठी उनके सामने ही था। ऐसे में पुलिस भंवरकुआं को जब बताया गया तो पुलिस ने उस सहपाठी के माध्यम से मामा को बुलवाकर बच्चों को उनके पैसे वापस दिलवा दिए।
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