
इंदौर। भले ही भाजपा (BJP) दावा कर रही हो कि खंडवा (Khandwa) में अब सबकुछ ठीक है और हमारा प्रत्याशी ही चुनाव जीतकर आ रहा है, लेकिन अंदर ही अंदर कुछ और पक रहा है, जिसकी सुगबुगाहट कल मुख्यमंत्री की फोफनार में हुई सभा में दिखाई दी। खंडवा के दो बड़े गुट अर्चना और नंदू भैया के पुत्र हर्ष के बीच अभी भी अदावत कम नहीं हुई है। कल सभा में न तो अर्चना ने हर्ष का नाम लिया और न ही हर्ष ने अर्चना को तवज्जो दी। वे केवल अपने पिता और उनकी राजनीतिक जीवनयात्रा का गुणगान करते रहे। इससे लग रहा है कि भाजपा (BJP) जिस खंडवा (Khandwa) सीट को हलवा समझकर गप करना चाहती है, वह इतना आसान नहीं है।
चुनाव (Election) की घोषणा के पहले तक हर्षवर्धनसिंह चौहान अपने आपको भाजपा की ओर से उम्मीदवार मानकर चल रहे थे और उन्हें मुख्यमंत्री की ओर से इशारा भी मिल गया था, लेकिन जब नामों की घोषणा हुई, तब पार्टी ने यहां से ज्ञानेश्वर पाटिल को मौका दिया। नाराज होकर हर्षवर्धन चुनाव प्रचार से गायब हो गए, लेकिन बाद में बड़े नेताओं के समझाने पर बुरहानपुर के युवा सम्मेलन में पहुंचे, जो प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा की मौजूदगी में शाहपुर के पास आयोजित किया गया था। इसके बाद वे लगातार प्रचार में नजर आ रहे हैं, लेकिन उनके भाषणों और चेहरे को देखकर लग रहा है कि वे ऊपरी मन से प्रचार में जुटे हुए हैं।
कल मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान (Tomorrow Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) के सामने बुरहानपुर (Burhanpur) के फोफनार में आयोजित सभा में जब उन्हें बोलने के लिए खड़ा किया गया तो नाराजगी उनके चेहरे पर साफ झलक रही थी। मंच पर भाजपा (BJP) प्रत्याशी ज्ञानेश्वर पाटिल, प्रभारी गोपी नेमा और आलोक शर्मा भी मौजूद थे। शुरुआत में ही उन्होंने अपने दिवंगत पिता की तारीफ करना शुरू कर दी और कहा कि ये नंदू भैया की सीट है, जिसको किसी के हाथ में नहीं देना है। जिस ताकत से उनका ये बोलना था, उसमें इसी सीट से चुनाव नहीं लडऩे की कसक भी साफ नजर आ रही थी। अपने पिता के पिछले राजनीतिक जीवन का बखान भी उन्होंने किया। मंच पर अर्चना चिटनीस भी मौजूद थीं, लेकिन उन्होंने उनका नाम तक नहीं लिया। लोकसभा और विधानसभा में किए गए सारे कार्यों का श्रेय हर्षवर्धन अपने पिता को ही देते रहे। उन्होंने यह भी कहा कि जब तक जीवित हूं, आपको नंदू भैया की कमी नहीं होने दूंगा। बाद में जब अर्चना की बारी आई तो उन्होंने भी वही किया और हर्ष चौहान का नाम तक नहीं लिया। हालांकि अपने भाषण में वे नंदू भैया से ज्यादा सीएम द्वारा किए गए कार्यों का बखान करती रहीं और कहा कि कैसे उन्होंने मुख्यमंत्री चौहान के साथ मिलकर क्षेत्र को कई सौगातें दिलवाईं। बाद में मुख्यमंत्री ने अपने भाषण में दोनों को साधा और नंदू भैया की तारीफ कर अर्चना के विधायक काल की उपलब्धियां भी गिनाईं। हालांकि कल की सभा से यह तो साबित हो गया कि हर्ष और अर्चना के बीच अभी भी नंदू भैया के जमाने से चली आ रही अदावत कायम है। इसको बड़े नेता भी महसूस कर रहे हैं और वे दोनों के बीच की खाई को पाटने की कोशिश कर रहे हैं। वैसे अगर ये खाई नहीं पटी तो खंडवा सीट पर भाजपा को अंतिम समय में खूब मेहनत करना पड़ सकती है।
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