
जबलपुर: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने हाल ही में आवार कुत्तों को लेकर बड़ा फैसला सुनाया था. इसके बाद से इन दिनों देशभर में आवारा कुत्तों को लेकर चर्चा चल रही है. इन सबके बीच रीवा नगर निगम ने आवारा कुत्तों को लेकर बड़ा कदम उठाया है. नगर निगम ने रीवा शहर के 4,000 आवारा कुत्तों की नसबंदी कराने का निर्णय लिया है. इसको लेकर टेंडर भी जारी कर दिया गया है. इसका ठेका जबलपुर की कंपनी ने लिया है.
दरअसल, रीवा में आवारा कुत्तों का आंतक इतना बढ़ गया है कि आए दिन बच्चे और बुजुर्ग इनका शिकार बन जा रहे हैं. कुत्तों के आतंक से लोगों में डर का माहौल है. इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए रीवा नगर निगम ने यह फैसला सुनाया है. कुत्तों की नसबंदी करने का ठेका जबलपुर की एक निजी कंपनी को दिया गया है.
रीवा नगर निगम द्वारा जारी टेंडर में कंपनी को यह जिम्मेदारी दी गई है. रीवा नगर निगम ने कंपनी को यह निर्देश दिया है कि वैज्ञानिक और मानवीय तरीकों से कुत्तों को पकड़ेगी. इसके बाद उन्हें एक सुरक्षित आश्रय गृह (शेल्टर होम) में ले जाएगी, जहां उनकी नसबंदी की प्रक्रिया पूरी की जाएगी. सर्जरी के बाद उन्हें चार से पांच दिनों तक सुरक्षित स्थानों पर रखा जाएगा.
इसके बाद यह भी ध्यान दिया जाएगा, जब तक कुत्ते पूरी तरह ठीक ना हो जाएं. ठीक होने के बाद ही उन्हें सुरक्षित स्थान पर छोड़ा जाएगा, जहां से उन्हें पकड़ा गया था. यह ध्यान रखा जाएगा कि कुत्तों को उनके प्राकृतिक आवास से दूर ना छोड़ा जाए. संभावना है कि यह अभियान अगले सप्ताह में शुरू हो जाए.
गौरतलब है कि कुत्तों नशबंदी का ठेका पहली बार नहीं दिया जा रहा है. नगर निगम द्वारा पहले भी इसी कंपनी को नसबंदी का ठेका दिया गया था. हालांकि, उस समय संतोषनक काम नहीं हुआ था. जिस वजह से काम को बीच में ही रोक दिया गया था. इस बार नगर निगम ने ठेके की शर्ते सख्त बनाई है. इस अभियान के दौरान नगर निगम के अधिकारी कड़ी निगरानी भी करेंगे. ताकि लापरनावी ना हो.
रीवा नगर निगम के इस फैसला का पशु कल्याण कार्यकर्ताओं ने भी स्वागत किया है. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि कि कुत्तों के साथ अमानवीय व्यवहार ना किए जाएं. इस अभियान से ना सिर्फ कु्त्तों की जनसंख्या पर रोक लगेगी. बल्कि विशेषज्ञों की मानें तो नसबंदी के बाद से कुत्ते शांत हो जाते हैं.
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