
मुंबई । महाराष्ट्र (Maharashtra) में मुंबई निकाय चुनाव (Mumbai civic elections) को लेकर माहौल गर्म है। पार्टियों के बनते बिगड़ते गठबंधन के बीच कांग्रेस पार्टी ने यह चुनाव अकेले लड़ने का ऐलान कर दिया है। शिवसेना उद्धव गुट और राज ठाकरे की एमएनएस की बढ़ती नजदीकियों को देखते हुए कांग्रेस की तरफ से यह फैसला लिया गया है। इस मामले में जानकार लोगों की माने तो कांग्रेस का यह फैसला उत्तर भारतीय और मुस्लिम मतदाताओं को बचाने की उसकी चिंता से उपजा है, लेकिन इसने महा विकास आघाडी (एमवीए) में वैचारिक मतभेदों को भी उजागर कर दिया है।
कांग्रेस के इस फैसले के बाद उद्धव गुट ने भी खलबली मची है। उद्धव गुट ने कांग्रेस से इस फैसले पर एक बार फिर से पुनर्विचार करने का अनुरोध किया है। हालांकि, बई कांग्रेस इकाई की अध्यक्ष वर्षा गायकवाड़ अकेले चुनाव लड़ने पर अडिग हैं। लेकिन कांग्रेस के लिए स्थिति हालांकि विचित्र है, क्योंकि महा विकास अघाडी के एक अन्य घटक, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) ने मनसे को साथ लेकर चुनाव लड़ने का समर्थन किया है।
गायकवाड़ के नेतृत्व में कांग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल ने हाल ही में चुनावी गठबंधन पर चर्चा के लिए एनसीपी (शप) अध्यक्ष शरद पवार से मुलाकात की। राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार, शिवसेना (उबाठा) को उम्मीद है कि पवार विपक्षी एकता के लिए कांग्रेस आलाकमान को मनसे के प्रति अपना रुख नरम करने के लिए मना लेंगे, जिसका साझा लक्ष्य भाजपा को हराना है। राकांपा (शरदचंद्र पवार) नेता जितेंद्र अव्हाड ने कहा कि पार्टी कार्यकर्ताओं ने पवार से कहा है कि एमवीए सहयोगियों और भाजपा विरोधी दलों को मुंबई नगर निकाय चुनाव एक साथ लड़ना चाहिए।
कांग्रेस के एक नेता ने मीडिया को बताया कि मनसे के साथ गठबंधन को लेकर कांग्रेस में दो राय हैं। मनसे अपनी ‘धरती-पुत्र’ वाली राजनीति और उत्तर भारतीय प्रवासियों के खिलाफ आक्रामक रुख के लिए जानी जाती है। उन्होंने कहा, “(मुंबई चुनावों के लिए) गठबंधन का विरोध करने वाले नेताओं का मानना है कि शिवसेना (उबाठा) सीट के बंटवारे में अपनी बढ़त बनाए रखना चाहेगी, जैसा कि पिछले साल लोकसभा और विधानसभा चुनावों में हुआ था। मुंबई के नेता यहां पार्टी की स्थिति मजबूत करना चाहते हैं।” उन्होंने बताया कि कांग्रेस नेताओं के एक वर्ग का मानता है कि राज ठाकरे के बदलते राजनीतिक रुख के कारण उन पर भरोसा नहीं किया जा सकता।
नेता ने नाम न बताने की शर्त पर मीडिया को बताया, “हमने न्यूनतम साझा कार्यक्रम के साथ उद्धव ठाकरे से हाथ मिलाया। हमने उनसे हिंदुत्व एजेंडा छोड़ने के लिए नहीं कहा।” उन्होंने कहा कि उद्धव मुंबई की राजनीति में शिवसेना (उबाठा) का नियंत्रण स्थापित करने के इच्छुक हैं, जो उनके चचेरे भाई राज ठाकरे के साथ संबंधों को सुधारने के उनके कदम को स्पष्ट करता है।
कांग्रेस में एक अन्य वर्ग का मानना है कि मनसे और शिवसेना (उबाठा) के साथ मिलकर चुनाव लड़ने से कांग्रेस को उन क्षेत्रों में भाजपा को हराने में मदद मिल सकती है, जहां वह (कांग्रेस) कमजोर स्थिति में है।
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