
मुम्बई। महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Government) 2006 के मुंबई ट्रेन विस्फोट मामले (Mumbai train blast case.) में 12 आरोपियों को बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) की ओर से बरी किए जाने के फैसले को चुनौती देगी। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (Chief Minister Devendra Fadnavis) ने अदालत के फैसले को चौंकाने वाला बताया और कहा कि राज्य इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में अपील करेगा। उन्होंने कहा, ‘मैं पूरे आदेश को देखूंगा। मैंने वकीलों के साथ इस पर चर्चा की है और उच्च न्यायालय के फैसले को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी जाएगी।’
महाराष्ट्र के राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने फैसले के कुछ घंटों बाद सुप्रीम कोर्ट में अपील करने की योजना की घोषणा की। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार अपील दायर करने से पहले फैसले का सावधानीपूर्वक मूल्यांकन करेगी। उन्होंने कहा, ‘मुख्यमंत्री फडणवीस व्यक्तिगत रूप से इसकी जांच करेंगे। हम गहन मूल्यांकन के बाद ही शीर्ष न्यायालय का रुख करेंगे।’ पूर्व सांसद किरीट सोमैया और अन्य भाजपा नेताओं ने फैसले की निंदा करते हुए इसे दर्दनाक और चौंकाने वाला बताया। उन्होंने जांच और कानूनी टीमों से जांच की कमियों को दूर करने की मांग की। फिलहाल राज्य सरकार के पास अब फैसले की कॉपी प्राप्त होने के बाद विशेष अनुमति याचिका दायर करने के लिए 90 दिन का समय है।
हाई कोर्ट ने अपने फैसले में क्या कहा
बॉम्बे हाई कोर्ट ने 2006 मुंबई लोकल ट्रेन सिलसिलेवार बम विस्फोट मामले के सभी 12 आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। जस्टिस अनिल किलोर और जस्टिस श्याम चांडक की पीठ ने अपने फैसले में कहा कि अदालत के सामने जो सुबूत रखे गए, वे आरोपियों का अपराध साबित करने में अपर्याप्त हैं। अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष के दावे में कई बुनियादी खामियां हैं। पीठ ने अविश्वसनीय गवाहों, संदिग्ध पहचान परेड और यातना देकर इकबालिया बयान लेने के लिए भी जांच दल की आलोचना की। अदालत ने पाया कि इस्तेमाल हुए बम के ब्यौरे सहित दूसरे बुनियादी तथ्यों को भी स्थापित करने में एटीएस विफल रही है। गवाहों के बयानों और बरामदगी का कोई साक्ष्य मूल्य नहीं माना गया।
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