
नई दिल्ली । अमेरिकी राष्ट्रपति (us President)डोनाल्ड ट्रंप (donald trump)द्वारा पिछले महीने भारत पर टैरिफ(Tariff) को बढ़ाकर 50 फीसदी करने का असर देश की आर्थिक राजधानी मुंबई(Mumbai is the economic capital) स्थित दुनिया के सबसे बड़े समुद्री खाद्य बाजार (सी फूड मार्केट) पर बुरा असर पड़ा है। 27 अगस्त से लागू हुए 50 फीसदी टैरिफ ने अमेरिका को निर्यात होने वाले फ्रोजन समुद्री सी फुड के निर्यात पर बुरा असर डाला है क्योंकि पहले इस पर जहां सिर्फ 10 फीसदी टैरिफ लगता था, उसे बढ़ाकर पहले 25 फीसदी किया गया और अब यह 50 फीसदी हो चुका है। इसकी वजह से वैसे हजारों परिवारों की आजीविका पर बुरा असर पड़ा है, जो दशकों से और पीढ़ियों से सी फूड के कारोबार में फलते-फुलते रहे हैं।
महाराष्ट्र के सबसे व्यस्त और सबसे बड़े समुद्री खाद्य निर्यात केंद्रों में से एक, मुंबई के ससून डॉक में, समुद्री खाद्य पदार्थों को उतारने, पकड़ने, नीलामी और प्रसंस्करण की सामान्य हलचल के बावजूद एक चिंता का माहौल है। यहाँ का यह उद्योग, जिसने दशकों से अनगिनत परिवारों का पेट भरा है, अब अनिश्चितता के भंवर में फंसा है और अनिश्चित भविष्य का सामना कर रहा है।
एक महीने के अंदर 10 से 50 फीसदी हुआ टैरिफ
मुंबई पोर्ट अथॉरिटी द्वारा गोदामों को अन्य व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए पट्टे पर दिए जाने के कारण ससून डॉक में मछली पकड़ने का उद्योग पहले से ही विलुप्त होने के खतरे का सामना कर रहा है। ट्रंप के टैरिफ ने इस उद्योग को और भी संकट में डाल दिया है। एक महीने के अंदर ही टैरिफ को 10 फीसदी से बढ़ाकर 50 फीसदी करने पर निर्यातकों और नीलामकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि इससे लाभदायक रहा सी फूड इंडस्ट्री नष्ट होने की कगार पर जा रहा है।
महिलाओं की आय पर खतरा
समुद्री उत्पाद नीलामी संघ के अध्यक्ष वसंत भुचाड़े ने कहा, “अगर भारत सरकार ट्रंप टैरिफ का कोई हल नहीं निकालती है, तो निर्यातक इन मछुआरों को महत्व नहीं देंगे। व्यापारी और निर्यातक नीलामी के दौरान सस्ती दर की माँग करेंगे, और मछुआरे, जो आमतौर पर झींगों से अच्छी कमाई करते हैं, फिर झींगों के लिए पानी में जाने की ज़हमत नहीं उठाएँगे। इसका व्यापक प्रभाव झींगों के छिलके उतारने वाली महिलाओं की आय भी छीन लेगा। झींगे हमारे मछली पकड़ने के काम का मुख्य आधार हैं, और यह टैरिफ पूरे उद्योग को खतरे में डाल देगा।”
साल के 300 दिन रोजाना 30 टन झींगे का निर्यात
अनुमानों के अनुसार, ससून डॉक साल के लगभग 300 दिन रोजाना लगभग 30 टन झींगे का निर्यात करता है। एक किलो झींगे की कीमत 300 रुपये के करीब होती है, जो स्थानीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देता है। मॉनसून में मछली पकड़ने पर दो महीने के प्रतिबंध के कारण, यह उद्योग पहले ही धीमा पड़ गया है। अब ट्रंप टैरिफ ने इस पर संकट ही ला दिया है। कोलाबा के ससून डॉक में 12,000 से ज़्यादा परिवार झींगे छीलने वाले हैं। सुबह से शाम तक ये लोग झींगा ही छिलते हैं और उसी पर आश्रित हैं। इन सबके सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा होने वाला है।
समुद्री झींगे के दाम आकार के आधार पर लगभग 300 रुपये प्रति किलो रहते हैं। अब, 50% टैरिफ के साथ, निर्यातक इस कीमत को 250 या 225 रुपये प्रति किलो तक कम कर सकते हैं। इसका सीधा असर मछुआरों पर पड़ेगा, ठीक वैसे ही जैसे गिरती कीमतों ने अन्य क्षेत्रों के किसानों को तबाह कर दिया है।
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved