
बीजिंग: चीन-पाकिस्तान (China-Pakistan) आर्थिक गलियारे के अगले चरण को आगे बढ़ाने के लिए पाकिस्तान में “नई सुरक्षा व्यवस्था” की नई मांगें रखी हैं. सूत्रों ने बताया कि इन शर्तों पर 2 से 4 सितंबर तक बीजिंग (Bijing) में होने वाली द्विपक्षीय बैठकों (Bilateral Meetings) की एक हाईलेवल सीरीज के दौरान चर्चा की जा रही है, जिसमें पाकिस्तान के शीर्ष राजनीतिक और सैन्य नेतृत्व शामिल होंगे.
शीर्ष सैन्य सूत्रों ने खुलासा किया है कि बीजिंग ने इस्लामाबाद को बता दिया है कि सीपीईसी का दूसरा चरण तभी आगे बढ़ेगा जब पाकिस्तान में चीनी नागरिकों और संपत्तियों की सुरक्षा के लिए एक मज़बूत और विश्वसनीय तंत्र होगा. हाल के वर्षों में सीपीईसी से जुड़ी परियोजनाओं पर बार-बार हुए हमलों को देखते हुए, चीनी नागरिकों की सुरक्षा एक प्रमुख मुद्दा बन गई है. बीजिंग इस्लामाबाद पर इस बात पर स्पष्टता के लिए दबाव बना रहा है कि वह भविष्य में चीनी श्रमिकों, परियोजनाओं और निवेशों की सुरक्षा कैसे करना चाहता है.
सूत्रों ने आगे खुलासा किया कि चीनी नेतृत्व अपने दीर्घकालिक आर्थिक जुड़ाव को व्यापक भू-राजनीतिक चिंताओं से जोड़ रहा है. पाकिस्तान में अमेरिका की कूटनीतिक और आर्थिक उपस्थिति बढ़ने के साथ, बीजिंग ने इस क्षेत्र में वॉशिंगटन की बढ़ती रुचि को लेकर अपनी बेचैनी व्यक्त की है. “चीनी अधिकारियों को पाकिस्तान में बढ़ते अमेरिकी प्रभाव और रुचियों पर संदेह है, और वे सीपीईसी के विस्तार में आगे बढ़ने से पहले स्पष्टता चाहते हैं.”
सुरक्षा गारंटी के साथ-साथ, चीन की नज़र पाकिस्तान के दुर्लभ मृदा खनिज भंडार पर भी है. खनन अधिकारों और इन संसाधनों के भविष्य के हिस्से पर चर्चा चल रही है. बीजिंग कथित तौर पर पाकिस्तान के खनिज क्षेत्र को एक रणनीतिक क्षेत्र मानता है, खासकर जब अमेरिका की रेयर अर्थ में रुचि बढ़ रही है.
शीर्ष सैन्य सूत्रों ने ज़ोर देकर कहा, “दुर्लभ मृदा खनिजों से लेकर नए सुरक्षा रोडमैप तक, बीजिंग ने इस्लामाबाद के लिए शर्तें रखी हैं.” अफ़गानिस्तान में सीपीईसी के विस्तार पर भी विचार चल रहा है. सूत्रों ने कहा कि बीजिंग चाहता है कि पाकिस्तान एक सुरक्षा रोडमैप तैयार करे जिससे चीन समर्थित परियोजनाओं का अफ़गान क्षेत्र में विस्तार हो सके, इस कदम को चीन क्षेत्रीय संपर्क के लिए महत्वपूर्ण मानता है.
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