
नई दिल्ली । नागपुर (Nagpur)में सोमवार शाम को भीषण हिंसा भड़क(Fierce violence erupts) गई। शहर के इतिहास में 98 सालों के बाद (After 98 years in history)ऐसा दंगा भड़का(Riot broke out), जिसमें तीन डीसीपी लेवल के पुलिसकर्मी घायल हुए हैं। इसके अलावा कई नागरिक भी जख्मी हुए, जिनमें से एक आईसीयू में है। इस पूरे बवाल के बाद पुलिस ने 5 एफआईआर दर्ज की हैं और 50 लोगों को हिरासत में लिया है। इस बीच मंगलवार को महाराष्ट्र विधानसभा में भी जमकर हंगामा हुआ। इसके अलावा सदन के बाहर भी विपक्षी दलों के विधायकों ने प्रदर्शन किया। इन लोगों की मांग है कि राज्य सरकार में मंत्री नितेश राणे को पद से हटाया जाए। नितेश राणे फायरब्रांड नेता हैं, जो लगातार बयान देते रहे हैं। विपक्ष का कहना है कि उनके चलते ही शहर में सोमवार को हिंसा भड़की।
शहर में उपद्रव के दौरान कल कम से कम 45 वाहनों में तोड़फोड़ की गई। सत्तापक्ष के विभिन्न नेताओं ने नागपुर की घटना की निंदा की है और कहा है कि हिंसा में शामिल लोगों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। इस बीच जिले के पालक मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया और कहा कि अफवाह फैलाने वालों पर नजर रखने के लिए सोशल मीडिया अकाउंट की निगरानी की जा रही है। फडणवीस सरकार में मंत्री संजय शिरसाट ने कहा, ‘नागपुर में हुई हिंसा के पीछे महा विकास अघाड़ी का हाथ है… विपक्ष के लोग यह दिखाने में लगे हैं कि वे ही मुसलमानों के साथ खड़े हैं, लेकिन उन्हें यह एहसास नहीं है कि मुसलमान ऐसा नहीं चाहते…।’
शिवसेना विधायक मनीषा कायंदे ने नागपुर हिंसा की निंदा की और अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। उन्होंने कहा, ‘हम नागपुर हिंसा की निंदा करते हैं। अफवाह फैलाने वालों को सलाखों के पीछे डाला जाना चाहिए और उन्हें दंडित किया जाना चाहिए। महाराष्ट्र में ऐसी चीज बर्दाश्त नहीं की जाएगी।’ नागपुर के राजघराने के सदस्य राजे मुधोजी भोसले ने कहा, ‘यह बहुत दुखद घटना है। नागपुर के इतिहास में ऐसी घटना कभी नहीं हुई। जिम्मेदार लोगों को दंडित किया जाना चाहिए और प्रशासन को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसी घटना फिर कभी न हो।’ उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि इसमें स्थानीय लोग शामिल थे। बाहरी लोगों के साथ कुछ असामाजिक तत्व भी इसमें शामिल रहे होंगे।
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