
प्रयाग । मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई (Chief Justice BR Gavai) ने कहा कि न्यायिक क्षेत्र में (In the Judicial Field) इलाहाबाद हाईकोर्ट का नाम (Name of Allahabad High Court) स्वर्णाक्षरों में लिखा जाता है (Is written in Golden Letters) । भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई शनिवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में अधिवक्ता चैंबर और मल्टीलेवल पार्किंग के उद्घाटन के मौके पर बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि शपथ लेने के बाद यह मेरा पहला आधिकारिक कार्यक्रम है, जो इलाहाबाद उच्च न्यायालय में मिला यह मेरा सौभाग्य है। प्रयागराज से मेरा बहुत नजदीक का रिश्ता रहा है। 2019 में जब मैं सर्वोच्च न्यायालय पहुंचा तो जस्टिस विनीत सरन, जस्टिस कृष्ण मुरारी और बाद में जस्टिस विक्रम नाथ से पारिवारिक रिश्ते बने। योगी जी तो पावरफुल हैं ही, पर इलाहाबाद भी कम पावरफुल लोगों की धरती नहीं है। विक्रम नाथ भी देश के सबसे मजबूत न्यायाधीशों में से एक हैं। उनके निमंत्रण को अस्वीकार करने की मुझ में हिम्मत नहीं थी। उन्होंने आज सच नहीं बोला, उनको डिफेंड करने की मुझ में हिम्मत नहीं है। इसलिए कहूंगा कि इलाहाबाद बार बहुत ही अनुशासित बार है।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि इलाहाबाद का नाम बड़े ही सम्मान से लिया जाता है। मोतीलाल नेहरू, जवाहरलाल नेहरू जैसे अधिवक्ता हुए तो वहीं महादेवी वर्मा, हरिवंश राय बच्चन, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, सुभद्रा कुमारी चौहान जैसे साहित्यकार भी दिए। स्वतंत्रता आंदोलन में चंद्रशेखर आजाद के वरदान को देश सैल्यूट करता है। आजादी के आंदोलन में चंद्रशेखर आजाद के योगदान को नहीं भुलाया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि अधिवक्ताओं को जो चैंबर और पार्किंग मिली है, यह अद्भुत है। इतनी बड़ी और सुविधा युक्त इमारत मेरी जानकारी में पूरी दुनिया में नहीं होगी। इसके लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को मैं धन्यवाद देना चाहता हूं। मुख्यमंत्री ने न्यायमूर्तियों का ही नहीं, वकीलों का ही नहीं, बल्कि आम आदमी का भी ध्यान दिया है। गवई ने कहा कि वादकारी का भी हम ख्याल रख रहे हैं। वादकारियों के लिए व्यवस्था की जा रही है। देश का नागरिक न्याय के लिए आता है। उसका पूरा ख्याल हाईकोर्ट में रखा जाता है।
उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर के लिए न्यायिक अधिकारियों का अभिनंदन किया। अहिल्याबाई होल्कर की जयंती पर उद्घाटन होना गर्व की बात है। होल्कर ने सामाजिक हित के लिए बहुत कार्य किया। इस देश के आखिरी नागरिक तक पहुंचना हमारा मौलिक कर्तव्य है। जब तक बार और बेंच साथ में काम नहीं करते, तब तक हम न्याय के रथ को आगे नहीं बढ़ा सकते। आज इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बहुत अच्छा उदाहरण दिया है, जिसे हम रोल मॉडल बोल सकते हैं।
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