
नई दिल्ली। विश्व स्वास्थ्य संगठन World Health Organization (WHO) के सामने कोरोना वायरस(Corona Virus) के स्वरूपों के नामकरण की चुनौती(The challenge of naming formats) भी है। डब्ल्यूएचओ (WHO) ने कहा है कि ग्रीक वर्णमाला के 24 शब्दों का इस्तेमाल पूरा होने के बाद तारा नक्षत्रों या ग्रीक देवी देवाताओं (greek gods and goddesses) या पौराणिक आधार(mythological premise) पर वायरस के नए स्वरूपों का नामकरण किया जा सकता है। डब्ल्यूएचओ की टेक्निकल लीड और महामारी रोग विशेषज्ञ डॉ. मारिया वैन केरखोवे का कहना है कि अंदेशा है कि आने वाले कुछ महीनों में वायरस के और स्वरूप सामने आ सकते हैं। इसी को ध्यान में रखकर वैरिएंट के नाम रखने पर भी मंथन जारी है।
डब्ल्यूएचओ (WHO) का कहना है कि ग्रीक वर्णमाला के अनुसार रखे गए वैरिएंट के नाम वैज्ञानिक नाम को बदल नहीं सकेंगे। ग्रीक वर्णमाला से तैयार नाम आमजन की सहूलियत के लिए रखे गए हैं क्योंकि वैज्ञानिक नाम समझना थोड़ा कठिन होता है। वैरिएंट के नाम आसान होंगे तो लोगों के बीच सतर्कता की भावना भी अधिक रहेगी। डब्ल्यूएचओ (WHO) ने स्पष्ट किया है कि वायरस के अलग अलग रूप अलग-अलग देशों में मिल रहे हैं। ऐसे में स्वरूप के नाम रखना जरूरी है, नहीं तो उनकी पहचान उस देश से की जा रही है, जहां वो पहली बार मिला था। ये न तो तर्कसंगत है और न ही उपयुक्त। वैज्ञानिकों का कहना है कि वायरस का नाम उसी स्थान के नाम पर रखा जाता रहा है, जहां उसकी उत्पत्ति हुई है। इबोला वायरस का नाम इबोला नदी के नाम पर रखा गया था। डब्ल्यूएचओ ने कोविड-19 नाम चीन के वुहान शहर से कोरोना को जोड़ने से बचाने के लिए दिया।