
नई दिल्ली । सूर्य के सबसे रहस्यमयी हिस्से “क्रोमोस्फीयर” (Chromosphere)की गहराई से जांच करने के लिए अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी (US Space Agency) NASA एक नया प्रयास(New attempt) करने जा रहा है। इसके लिए 18 जुलाई को न्यू मैक्सिको से एक विशेष साउंडिंग रॉकेट लॉन्च किया जाएगा। यह साउंडिंग रॉकेट मिशन 10 मिनट से भी कम समय का होगा। इस छोटे-से मिशन की लागत करीब 1.5 मिलियन डॉलर यानी लगभग ₹12 करोड़ होगी।
क्या है क्रोमोस्फीयर?
क्रोमोस्फीयर सूर्य की वह परत है जो उसकी बाहरी चमकती सतह और बेहद गर्म वातावरण के बीच होती है। यह हल्के लाल रंग की दिखाई देती है और यहीं से सूरज की ऊर्जा से जुड़े तेज विस्फोट, गर्म प्लाज़्मा जेट और सौर लपटें पैदा होती हैं। इस परत में तापमान 6000 डिग्री सेल्सियस से लेकर 10 लाख डिग्री सेल्सियस तक दर्ज किया गया है।
मिशन का नाम और उद्देश्य
NASA इस मिशन में एक खास यंत्र लॉन्च करेगा, जिसका नाम है – SNIFS (Solar EruptioN Integral Field Spectrograph)। यह यंत्र सूर्य की उस जगह को ध्यान से देखेगा, जहां चुंबकीय गतिविधियां तेज़ होती हैं। SNIFS से वैज्ञानिक सूरज की परतों का थ्री-डायमेंशनल डेटा एकत्र करेंगे, यानी एक ही समय में हर पिक्सल से पूरा स्पेक्ट्रम मिलेगा।
SNIFS मिशन
यह पहली बार होगा जब सूर्य को अल्ट्रावायलेट लाइट में इतने उन्नत स्तर पर देखा जाएगा। SNIFS, सूर्य की हाइड्रोजन लाइमन-अल्फा रेखा को टारगेट करेगा, जो कि उसकी सबसे तेज़ चमकने वाली अल्ट्रावायलेट लाइन है। इससे वैज्ञानिक तापमान, गति और घनत्व जैसे डेटा निकाल पाएंगे।
कितना मुश्किल मिशन?
क्रोमोस्फीयर प्लाज़्मा से बनी होती है, जिसमें चार्ज और न्यूट्रल पार्टिकल्स दोनों होते हैं। यह चुंबकीय क्षेत्रों में अलग तरीके से व्यवहार करती है और सामान्य थर्मोडायनामिक नियमों पर काम नहीं करती। इसलिए इसकी स्टडी करना वैज्ञानिकों के लिए चुनौतीपूर्ण रहा है। वैज्ञानिक लंबे समय से यह समझना चाहते हैं कि सूर्य की बाहरी परत “कोरोना” इतनी गर्म क्यों है? इस सवाल का जवाब क्रोमोस्फीयर की गतिविधियों को समझे बिना नहीं मिल सकता।
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