
नई दिल्ली. जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) के कठुआ ( Kathua) जिले के मछेड़ी इलाके में 8 जुलाई की दोपहर को आतंकियों ने घात लगाकर भारतीय सेना (Indian Army) के गश्ती दल पर हमला कर दिया. इस हमले में एक जेसीओ समेत पांच जवान शही हो गए, जबकि पांच अन्य गोली लगने से गंभीर रूप से घायल हैं, जिनका पठानकोट आर्मी हॉस्पिटल में इलाज चल रहा है. सुरक्षा बलों ने इस पूरे इलाके को घेर लिया है और तीन दिनों से आतंकियों की तलाश में लगातर ऑपरेशन चला रहे हैं. आतंकी संगठन ‘कश्मीर टाइगर्स’ (‘Kashmir Tigers’) ने कठुआ हमले की जिम्मेदारी ली है.
जवानों के खून से BJP फायदा उठाना चाह रही: आगा सैयद
आगा सैयद ने कहा, ‘ये आतंकी हमले पीएम मोदी की नाकामी है. वह कहते हैं कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद खत्म हो गया है, लेकिन हकीकत बिल्कुल अलग है. सुरक्षा में खामी है या कोई और कारण पता नहीं, जिससे ऐसी घटनाएं हो रही हैं. जब भी ऐसी घटनाएं होती हैं तो बीजेपी उसका बस फायदा उठाना चाहती है. जवानों के खून से बीजेपी नाजायज फायदा उठाना चाह रही है. ऐसी घटनाओं का बहाना बनाकर जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनाव को टाला नहीं जाना चाहिए’.
PAK में हालत खराब है, ये आतंकी कैसे पनप रहे: मो. सलीम
सीपीआई (एम) के वरिष्ठ नेता मोहम्मद सलीम ने कुठआ आतंकी हमले को लेकर केंद्र सरकार और भाजपा पर सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने कहा, ‘पहले कहते थे आतंकी सीमा पार करके पाकिस्तान से आते हैं. लेकिन अभी तो पाकिस्तान में भी हालत खराब है. तो फिर ये आतंकी कैसे पनप रहे हैं? क्या यह पुलवामा की घटना को दोहराया गया है? हमारे जवान मर रहे है, इस पर जवाब कौन देगा. ये लोग कहते हैं कि हमारे यहां घरेलू आतंकी नहीं हैं. तो ये आतंकी आखिर कहां से पनप रहे हैं? देश की सरकार को जवाब देना चाहिए.’
कठुआ में आतंकियों ने सेना के दो ट्रकों को बनाया निशाना
कठुआ में आतंकियों ने सेना के दो ट्रकों पर गोलीबारी झोंक दी, जिसमें 12 सैनिक सवार थे. आतंकवादियों ने लगभग 500 मीटर की दूरी पर खड़े ट्रकों को पहले हथगोले से निशाना बनाया, फिर एम4 असॉल्ट राइफल से गोलीबारी की. इस हथियार का इस्तेमाल अमेरिकी सेना करती है. पिछले 32 महीनों में जम्मू क्षेत्र में हुए आतंकी वारदातों में 44 सैनिक मारे गए हैं. जम्मू रीजन को आतंकवाद से मुक्त माना जाता था. लेकिन हाल की घटनाओं से इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर आतंकियों के सक्रिय होने के संकेत मिलते हैं.
लगभग हर हमले के बाद आतंकवादी भागने में सफल हो जाते हैं. कठुआ हमले से एक दिन पहले आतंकियों ने राजौरी में एक आर्मी कैंप को निशाना बनाया था, जिसमें एक सैनिक घायल हो गया था. हालांकि, जवान इस हमले को विफल करने में कामयाब रहे थे. ऐसी खबरें हैं कि 60 से अधिक विदेशी आतंकवादी- अकेले जम्मू क्षेत्र में सक्रिय हो सकते हैं, जबकि जम्मू-कश्मीर के सभी 10 जिलों में आतंकी वारदातों का खतरा बना हुआ है. इन आतंकियों को जंगल में युद्ध करने के लिहाज से प्रशिक्षित किया गया है.
भारत ने खाई कठुआ आतंकी हमले का बदला लेने की कसम
पिछले साल नवंबर और दिसंबर राजौरी में हुए दोहरे हमलों के बाद, भारतीय सेना ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर में सक्रिय विदेशी आतंकी अफगानिस्तान और पाकिस्तान जैसे विभिन्न देशों में प्रशिक्षण पाए हो सकते हैं. वे अत्याधुनिक हथियारों के अलावा मिनी-सैटेलाइट कम्युनिकेशन सिस्टम से लैस हैं, जिन्हें इंटरसेप्ट करना मुश्किल होता है. भारत ने कठुआ हमले का बदला लेने की कसम खाई है. पाकिस्तान का नाम लिए बिना रक्षा मंत्रालय ने कहा कि ‘राक्षसी ताकतें’ हारेंगी. पिछले हफ्ते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में कहा था कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई अपने आखिरी चरण में है और बचे हुए नेटवर्क को खत्म करने के लिए हमारी सेना ने बहुआयामी रणनीति अपनाई है.
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