
नई दिल्ली। खेल महासंघों (Sports federations) में पारदर्शिता और वित्तीय अनुशासन सुनिश्चित करने के उद्देश्य से केंद्र सरकार (Central government) संसद (Parliament) के आगामी मॉनसून सत्र (Monsoon session) में ‘राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक’ (National Sports Administration Bill) पेश करने की तैयारी में है। यह विधेयक देश में पहली बार एक खेल नियामक संस्था के गठन का प्रावधान करता है, जो राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर खेल संगठनों के कामकाज की निगरानी करेगी। इस विधेयक का उद्देश्य एक स्वतंत्र खेल नियामक की स्थापना करना और सभी खेल महासंघों को सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम के दायरे में लाना है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, विधेयक में भारतीय खेल नियामक निकाय बनाने, खेल महासंघों को RTI के दायरे में लाने और एथलीट आयोग व अपीलीय खेल न्यायाधिकरण बनाने का प्रावधान है। मंगलवार को केंद्र सरकार ने नई खेलो भारत नीति 2025 को मंजूरी दे दी है, जिसमें खेल महासंघों के शासन के लिए एक वैधानिक ढांचा तैयार करने की बात कही गई है। इसी नीति के तहत खेल मंत्रालय द्वारा प्रस्तावित विधेयक को अब संसद में लाया जाएगा।
विधेयक के 3 प्रमुख प्रावधान
1. भारतीय खेल नियामक संस्था (SRBI)
यह पांच सदस्यीय निकाय होगा, जिसकी अध्यक्षता खेल सचिव करेंगे। इसमें एक खेल रत्न पुरस्कार विजेता और एक द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता को भी सदस्य के रूप में शामिल किया जाएगा। इसका कार्य सभी ओलंपिक, पैरा ओलंपिक और अन्य खेल महासंघों को मान्यता देना और उनके प्रशासन, नैतिकता एवं वित्तीय मामलों में निगरानी रखना होगा।
2. एथलीट आयोग और अपीलीय खेल न्यायाधिकरण
विधेयक में एक एथलीट आयोग और अपीलीय खेल न्यायाधिकरण की स्थापना का भी प्रस्ताव है। एथलीट आयोग खिलाड़ियों के हितों की रक्षा करेगा, जबकि अपीलीय न्यायाधिकरण खेल प्रशासन से संबंधित विवादों का निपटारा करेगा। यह तीन सदस्यीय ट्राइब्यूनल होगा, जिसकी अध्यक्षता एक सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश करेंगे। यह संस्था खेलों से जुड़े विवादों और अपीलों की सुनवाई करेगी।
3.आरटीआई के दायरे में आएंगे खेल महासंघ
विधेयक के तहत सभी खेल महासंघों को RTI अधिनियम के दायरे में लाया जाएगा। हालांकि, कुछ संवेदनशील जानकारी जैसे कि टीम चयन, खिलाड़ियों के प्रदर्शन, चोट, और चिकित्सा रिकॉर्ड को RTI के दायरे से बाहर रखा जाएगा। इस कदम का उद्देश्य खेल संगठनों में जनता की भागीदारी और जवाबदेही को बढ़ाना है।
अतीत में भी हुई थी कोशिश
यह पहला मौका नहीं है जब खेल प्रशासन में सुधार की बात उठी हो। यूपीए-2 सरकार के दौरान तत्कालीन खेल मंत्री अजय माकन ने भी एक ऐसा ही विधेयक लाने की कोशिश की थी, जिसमें खेल महासंघों में निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव सुनिश्चित करने की बात कही गई थी। हालांकि उस समय राजनीतिक विरोध के चलते वह विधेयक संसद में नहीं पहुंच सका।
संसद का मॉनसून सत्र 21 जुलाई से 12 अगस्त 2025 तक चलेगा, जिसमें 23 दिन की अवधि में कई महत्वपूर्ण विधायी एजेंडों पर चर्चा होगी। इस सत्र में राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक के अलावा, वित्त विधेयक, भारतीय वायुयान विधेयक 2024, बॉयलर्स विधेयक, कॉफी (संवर्धन और विकास) विधेयक, और रबर (संवर्धन और विकास) विधेयक जैसे अन्य प्रमुख विधेयक भी पेश किए जाएंगे।
इसके अलावा, सत्र में ऑपरेशन सिंदूर जैसे राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित मुद्दों और हाल के राष्ट्रीय विकास पर भी चर्चा होने की उम्मीद है। संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि सरकार सभी मुद्दों पर समावेशी और एकजुट चर्चा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
खेल प्रशासन में सुधार की जरूरत
पिछले कुछ वर्षों में, कई खेल महासंघों पर कुप्रबंधन, भ्रष्टाचार, और पारदर्शिता की कमी के आरोप लगे हैं। केंद्र सरकार का यह कदम इन समस्याओं का समाधान करने और खेल संगठनों को अधिक पेशेवर और जवाबदेह बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि RTI के दायरे में आने से खेल महासंघों पर जनता का विश्वास बढ़ेगा और खिलाड़ियों के हितों की बेहतर रक्षा होगी।
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