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आत्महत्या करना चाहते थे नवाजुद्दीन सिद्दीकी, संघर्ष के दिनों को किया याद

November 08, 2025

डेस्क। नवाजुद्दीन सिद्दीकी (Nawazuddin Siddiqui) ने अपने दमदार अभिनय (Acting) से बॉलीवुड (Bollywood) में अपनी एक अलग पहचान बनाई है। यही कारण है कि नवाज इंडस्ट्री (Industry) से जुड़े मामलों पर खुलकर अपनी राय भी रखते हैं। अब एक बार फिर अभिनेता ने इंडस्ट्री को लेकर बात की है। साथ ही उन्होंने अपने संघर्ष के दिनों को भी याद किया है। एक्टर ने बताया कि एक वक्त ऐसा भी था जब वो सुसाइड (Suicide) करने तक की सोच रहे थे।

राज शमानी के साथ उनके पॉडकास्ट में नवाजुद्दीन ने कई मुद्दों पर खुलकर बात की। अपने जीवन के सबसे मुश्किल वक्त को याद करते हुए एक्टर ने कहा कि 2012 से पहले अक्सर ऐसा होता था कि मुझे मौके मिलते थे और फिर खो जाते थे। मैं यह मानने लगा था कि शायद मैं जीवन में कुछ खास हासिल करने के लिए नहीं बना था क्योंकि जब भी मुझे कुछ मिलता था, वह फिसल जाता था। कई फिल्में और प्रोजेक्ट जिनका मैं हिस्सा होने वाला था, दूसरों को मिल गए। हर कोई एक ऐसे दौर से गुजरता है, जब उसे लगता है कि हार मान ली जाए। आप सोचने लगते हैं कि शायद यह किस्मत है, शायद बदकिस्मती। मैं भी यही सोचता था कि अब कुछ नहीं होगा। लेकिन फिर कोई छोटी सी बात मुझे फिर से उम्मीद दे देती। यह सिलसिला 7-8 साल तक चलता रहा।



हालांकि, नवाज ने ऐसे मुश्किल वक्त में भी हार नहीं मानी और लगे रहे। उन्होंने कहा कि आखिरकार मैंने मान लिया कि शायद कुछ बड़ा नहीं होगा। मैंने खुद से कहा, अगर कुछ नहीं भी हुआ, तो भी मैं एक्टिंग करूंगा। फ्री में करूंगा और अगर करना पड़ा तो सड़कों पर भी करूंगा। लेकिन जब मौके आए तो मुझे यकीन ही नहीं हुआ कि वे असली हैं। मुझे लगा कि वे भी मुझसे छीन लिए जाएंगे। साल 2012 में नवाजुद्दीन की बैक टू बैक तीन सफल फिल्में ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’, ‘कहानी’ और ‘तलाश’ रिलीज हुई थीं। इस पर नवाज ने कहा कि तभी मुझे आखिरकार यकीन होने लगा कि चीजें होती हैं, बस उन्हें समय लगता है।

बातचीत के दौरान नवाज़ुद्दीन ने उस समय को भी याद किया जब उन्हें आत्महत्या करने के ख्याल आने लगे थे। एक्टर ने बताया कि यह एहसास बहुत पहले सफलता से लगभग पांच साल पहले आया था। मेरे कुछ दोस्तों की मौत हो गई थी। एक दुर्घटना में, दूसरा मानसिक बीमारी के कारण और एक आत्महत्या से। हम स्ट्रगल कर रहे एक्टर्स का एक समूह थे जो एक-दूसरे के करीब रहते थे। इस वजह से मैंने अपने आस-पास बहुत दर्द देखा है। इसके चलते मैं शारीरिक और मानसिक रूप से काफी कमजोर हो गया था। मैं खुद को मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रहा था। मुझे सचमुच लगता था कि मैं भी मर जाऊंगा। एक समय ऐसा भी था जब मैं रेलवे ट्रैक के किनारे खड़ा था। मैं ट्रेन पकड़ रहा था और सोच रहा था, ‘क्या मुझे बस आगे बढ़ जाना चाहिए?’ फिर ख्याल आया कि ‘नहीं, मुझे ऐसे नहीं जाना चाहिए। जिंदगी शायद मुझे माफ कर दे, जैसे एक्टिंग ने किया है।’ और मैं पीछे हट गया।

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